Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 Jul 2024 · 1 min read

ज़िंदगी का जंग

बेहतर होता कि मोड़ते जाते कोरा कागज़,
बोझल पलकें न देंगे ज़िंदगी का हर संग!!

यूं लगता है जैसे अधूरा है ज़िंदगी का चेहरा,
बस उतर गया कहीं पर्दे से मोहब्बत का रंग!!

नए रंगों से सजी रहीं ये पलकें भी धीरे-धीरे,
बेरंग ज़िंदगी में फिर लौट आया प्यारा उमंग!!

दिल की धड़कनों से तो थमी नहीं ये जिंदगी,
बस सांसों ने यूं जीत लिया ज़िंदगी का जंग!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा रईस

Loading...