रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
धरती सा धीरज रखो, सूरज जैसा तेज।
एहसास ए तपिश क्या होती है
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
विधा:"चन्द्रकान्ता वर्णवृत्त" मापनी:212-212-2 22-112-122
तारे
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
अटूट सत्य - आत्मा की व्यथा
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार
हाँ, मैं नाराज़ हूँ,नही तुमसे नहीं, खुद से
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप