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29 Jun 2024 · 1 min read

“राह अनेक, पै मँजिल एक”

भोर भयो, बजि मन्दिर घन्टि,
जिया हरष्यौ, धुन राम सुहानी।
मस्जिद, मुल्ला बाँग दियो,
जु बतावत मोरि,अजान दिवानी।।

राह अनेक, पै मँजिल एक,
यहै सन्देश छुप्यौ गुरबानी।
प्रेम बिना नहिं ईश मिलैं,
भलि खाक, सकल सँसार की छानी।।

भेद मिट्यौ, नहिँ ऊँच न नीँच,
जु प्रीत की रीत न जाए बखानी,
एकहि रँग, नर-नारि रँगे,
जु यहै बस “आशादास” की बानी..!

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 134 Views
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
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