Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2024 · 1 min read

*चरित्र ही यथार्थ सत्य*

चरित्र ही यथार्थ सत्य

गुलाब की सुगंध को चरित्र में उतारना।
चरित्र को गुलाब रंग दे सदा सँवारना।
दिखे सदैव दिव्यता सस्नेह बात कीजिए।
उदार दिव्य बीज को समग्र में पिरोइए।
पुनीत भाव भंगिमा करे सदैव वंदगी।
व्यतीत हो इसी प्रकार प्रेमपूर्ण जिंदगी।
मनुष्य में मनुष्यता बनी रहे चला करे।
कुभाव से कभी नही मनुष्य को छला करे।
रहे सदैव शुद्ध भाव प्रीति को जगाइए।
सदैव स्वच्छ भाव से हृदय हृदय मिलाइए।
न दीनता कभी रहे मलीनता विनष्ट हो।
सुरेश भव्य भाव से हृदय विकार नष्ट हो।
कुलीन मन सदा करे मनुष्य की सराहना।
मृदुल विराट हो धरा मधुर मिलन लुभावना।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

41 Views

You may also like these posts

" तितलियांँ"
Yogendra Chaturwedi
पुरानी यादों
पुरानी यादों
Shriyansh Gupta
~ग़ज़ल ~
~ग़ज़ल ~
Vijay kumar Pandey
सुना ह मेरी गाँव में तारीफ बड़ी होती हैं ।
सुना ह मेरी गाँव में तारीफ बड़ी होती हैं ।
Ashwini sharma
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
goutam shaw
फूल ही फूल संग
फूल ही फूल संग
Neeraj Agarwal
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
सोच
सोच
Rambali Mishra
"आधी दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*प्रणय*
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मेरी कलम कविता
मेरी कलम कविता
OM PRAKASH MEENA
रावण जी को नमन
रावण जी को नमन
Sudhir srivastava
मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
यू इतनी जल्दी कोई भी सो नही सकता,
यू इतनी जल्दी कोई भी सो नही सकता,
ललकार भारद्वाज
सियासत हथियाने की दौड़ में
सियासत हथियाने की दौड़ में
Lekh Raj Chauhan
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
समरसता
समरसता
Khajan Singh Nain
3348.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3348.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
झील का पानी
झील का पानी
Kanchan Advaita
- तुम्हे अब न अपनाऊंगा -
- तुम्हे अब न अपनाऊंगा -
bharat gehlot
Celebrate yourself
Celebrate yourself
Deep Shikha
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
यदि केवल बातों से वास्ता होता तो
यदि केवल बातों से वास्ता होता तो
Keshav kishor Kumar
छप्पय छंद
छप्पय छंद
seema sharma
अदरक वाला स्वाद
अदरक वाला स्वाद
गुमनाम 'बाबा'
Karma
Karma
R. H. SRIDEVI
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...