दोहा पंचक. . . . . होली
दोहा पंचक. . . . . होली
अलहड़ यौवन रंग में, ऐसा डूबा आज ।
मनचलों की टोलियाँ, खूब करें आवाज ।।
हमजोली के संग में, खेले सजनी रंग ।
चुपके-चुपके चल रहा, यौवन का हुड़दंग ।।
पिचकारी की धार से, ऐसे बरसे रंग ।
जीजा की गुस्ताखियाँ, देख हुए सब दंग ।।
कंचन काया का किया, पति ने ऐसा हाल ।
अंग- अंग रंग में ढला, यौवन लगे कमाल ।।
पारदर्शिता देख कर, दिलवाले हैरान ।
पिचकारी के रंग से , डोल उठा ईमान ।।
सुशील सरना / 13-3-25