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15 Jun 2024 · 1 min read

आस्था विश्वास पर ही, यह टिकी है दोस्ती।

विधा -गीतिका
छंद -गीतिका
मापनी -२१२२ २१२२ २१२२ २१२
आस्था विश्वास पर ही, यह टिकी है दोस्ती।
चाक के दो पाट में भी, यह फॅसी है दोस्ती।।१

कर्ण दुर्योधन बने थे दोस्त खातिर स्वार्थ के,
खूब लेकिन थी निभायी, बढ़ चली है दोस्ती।२

जब कभी विश्वास की कश्ती फॅसी है भॅवर में,
बीच में ही फॅस गयी है रुक गयी है दोस्ती।३

उद्धरण अनगिन बहुत हैं दोस्ती के तो यहां,
जान भी कुर्बान कर आगे बढी है दोस्ती।४

बात दिल की क्या बताए ये अटल ऐ दोस्तों!
ज़ख्म पर मरहम लगा उसमें ढली है दोस्ती।५

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