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30 May 2024 · 2 min read

बहुरंगी नारियाँ

🌹बहुरंगी नारियाँ 🌹

जिंदगी की जिंदगी हैं नारियांँ। जिंदगी में रंग भरतीं नारियांँ ।
नारियांँ ही शक्ति की प्रतिरूप है।
नारियांँ हैं पुष्प सुरभित क्यारियांँ।

श्रृंगार रस
(संयोग श्रृंगार)

महावर ,मेहंदी झुमके कंगन,
चूनर में लिपटी ललित लली।
सारे भूतल का आकर्षण,
किसलय में लिपटी कुसुम कली।

नारियांँ ही सृजन का आधार हैं,
नारियांँ ही शक्ति का अवतार हैं।

वियोग श्रृंगार

कामना के ताप से तन जल रहा,
प्रिय विरह में मान हर पल गल रहा।
नत नयन से अश्रु, झरते हैं यहां।
याद प्रिय की हर घड़ी करते यहां।

नारियां तो मूर्तिमय बस प्यार हैं।
नारियांँ ही शक्ति का अवतार हैं।

वीर रस

मातृभू के मान हित मनु लड़ गई।
पद्मिनी जलती चिता पर चढ़ गई।
शहीदों के शव उठाती नारियांँ।
वायुयानों को उड़ाती नारियांँ।

नारियांँ ही वीरता की धार हैं।
नारियांँ ही शक्ति का अवतार हैं।

करुण रस

प्रेम, करुणा की, प्रवाहित निर्झरी।
हृदय में नवनीत लेकर वे पलीं।
आर्त को, आरत न पातीं देख वे,
प्रेम, सेवा, प्रार्थना की टेक वे।

नारियाँ, करुणा, दया का सार हैं, नारियाँ ही शक्ति का अवतार हैं।

हास्य रस

गोद बैठे पुत्र को बहला रही,
कल्पना के अश्व वह दौड़ा रही।
गुदगुदाती उसे, हंँसता लाल है,
पुत्र हंँसता देख मातु निहाल है।

हास्य एवं लास्य से संसार है,
नारियांँ ही शक्ति का अवतार हैं।

अद्भुत

मुस्कुरातीं हृदय में दुख को छुपा।
दुख जो देते , उन्हें देतीं दवा।
छोड़ती निज गेह को, उनके लिए।
जो रहे, अब तक अपरिचित सर्वदा।

रच रहीं जो, अनोखा संसार हैं,
नारियाँ ही शक्ति का अवतार हैं।

रौद्र रस

सिर्फ गौरी ही नहीं हैं चंडिका,
पुष्प कर में है, खड़ग, त्रिशूल भी।
नारियों का क्रोध, कर दे भस्म सब।
नारियों का रूप कोमल रौद्र भी।

नारियों से कांँपता संसार है,
नारियाँ ही शक्ति का अवतार है।

वीभत्स रस

मंद स्मित, पुष्प सा आनन जहांँ,
भाव कलुषित जब छुपे रहते वहाँ।
ईर्ष्या, छल, द्वेष, विष की बेल से,
सघन कुत्सित भावना बहती वहांँ।

स्वार्थ, ईर्ष्या, दहकता अंगार हैं।
नारियाँ ही शक्ति का अवतार है।

शांत रस

बनाती घर को सदा सुखधाम है।
धरा, ममता, शांति इसके नाम हैं।
दग्ध, पीड़ित हृदय को शीतल करे,
शांति से घर को सजाना काम है।

शुष्क मरुथल में बही रसधार हैं।
नारियांँ ही शक्ति का अवतार हैं।

वात्सल्य

गोद में शिशु को उठाए झूम के,
है न्योछावर मातु माथा चूम के।
बांँह में झूला झुलाती है सदा।
पुण्य अपने वारती है सर्वदा।

नारियांँ इस सृष्टि का आधार हैं।
नारियाँ ही शक्ति का अवतार हैं।

इंदु पाराशर

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