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28 May 2024 · 1 min read

भगवान भी रंग बदल रहा है

सच्च कहें आज इंसान ही नहीं
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है

पहले मिल जाता था
कभी पहाड़ों पर, कभी जंगलों में
मगर आज बड़े-बड़े
देवालयों में भी नहीं मिल रहा है
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है

कभी मिल जाता था
किसी दीन को, किसी निर्धन को
मगर आज क्या कहें
कोई भी ह्रदय नहीं खिल रहा है
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है

कभी मिल जाता था
याद कर लेने, या पुकार लेने से
मगर आज क्यों भला
भजन,कीर्तन से नहीं मिल रहा है
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है

कभी मिल जाता था
सुनसान राहों में अंजान राही को
मगर आज क्या हुआ
कुंभ, महाकुंभ में नहीं मिल रहा है
‘V9द’ भगवान भी रंग बदल रहा है

1 Like · 160 Views
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