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23 May 2024 · 1 min read

इलज़ाम

वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती
हम नज़र भी उठाएँ तो इलज़ाम में फंसते हैं।

वो फूलों को मसल कर उजाड देते हैं चमन,
हम पौध भी लगाएं तो इलज़ाम में फंसते हैं।

वो सरे राह अटकाएं रोड़े भी ,खिताब पा जाते हैं
हम बनाएं नई रोहें भी ,तो इलज़ाम में फंसते हैं।

मापने लगते है हम जब कभी उनकी अपनी दूरियाँ,
जाल बुनने के लिए तब भी हम ही इलज़ाम में
———–*******————-

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