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About the book
ढलते सूरज को कोई नमस्कार नहीं करता। बचपन से ही कहावत सुनी थी _"सांझ की चन्द्रोई, जैसा आज वैसा कल भी होई "। इसीलिए नमस्कार मत करो। इस ढलती सांझ... Read more