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22 May 2024 · 1 min read

भुखमरी

भुखमरी

देश है बेहाल आज,
छोड़े सारे कामकाज।
भुखमरी छायी हुई,
वो भये बेहाल है।

रोग ये कोरोना आया,
नहीं यह हमें भाया।
जग का ये नाश करे
ऐसा बुरा हाल है।

भूख से मरे हैं लोग ,
मांगे नहीं राजभोग।
मिले खाली दाल रोटी
वो भी मुहाल है।

जीवन जटिल बना,
आज कैसा रार ठना।
अपने ही जाल फंसा
कैसा जंजाल है।

डॉ सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली

Language: Hindi
106 Views
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