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2 May 2024 · 1 min read

इंद्रधनुषी प्रेम

जाने क्यों पतंगा दीए से
करता इतना प्यार है!
पहले आलिंगन मात्र में ही
उसे अपनी मृत्यु स्वीकार है।

बलखाती अल्हड़ सी नदी
प्रेम सागर से निभाती है ।
त्याग के अपने मिठास सारे
सागर से खारी बन जाती है।

गहरे पानी के सागर को भी
क्यों साहिल से इतना प्यार है,
बार-बार ठुकराने पर भी
किनारों से मिलने को बेकरार है।

धरती – अंबर की प्रेम कहानी
इंद्रधनुष में दिखता है,
दूर कहीं क्षितिज में जाकर
बारिश की बूंद में मिलता है।

लक्ष्मी वर्मा ‘ प्रतीक्षा’
खरियार रोड, ओड़िशा ।

Language: Hindi
119 Views

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