Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 2 min read

मृत्यु मेरी दोस्त

हे मृत्यु! तू इतना इतराती क्यों है?
आखिर बेवकूफ बनाती क्यों है?
आ जाने की धमकी देकर डराती क्यों है?
तेरा सच मुझे पता है
तुझे आना नहीं होता है
तू तो हरदम सिर पर सवार रहती है
सिर्फ डराती, धमकाती है
पर अफसोस खुद बड़ी असमंजस में रहती है।
तो सुन तू इतना हैरान परेशान न हो
तू स्वतंत्र है जो करना है कर
आने की धमकी देकर मुझे मत डरा
तुझे अब, कहां आना है
तू तो हमारे जन्म के साथ ही
सुषुप्तावस्था में हमारे आसपास ही है
बड़े असमंजस में समय काट रही है।
उहापोह से बाहर निकल
जो करना है खुशी मन से कर
अपना कर्तव्य पूरा कर और खुश रहा करो
मैं तुझसे डरता नहीं हूं,
इसलिए बेवजह समय जाया न कर,
डरने का कोई कारण भी तो नहीं है।
आखिर मुझे जाना तो तेरे ही साथ है
फिर भला मुझसे डरने का मतलब ही क्या है?
अच्छा है जब तक मौन साधे साथ है
मेरी आड़ी तिरछी लेखनी का अवलोकन कर
प्रशंसा न सही तो बुराई ही कर,
पर चुपचाप शराफत से रहकर
मेरे कर्म पथ की राह में अवरोधक भी न बन।
इसमें तेरा ही लाभ है
मेरे साथ तेरा भी समय खुशी खुशी कट जायेगा
मेरा मान सम्मान अपमान
तेरे समय काटने का साधन बन जायेगा।
जब चलना हो तो मुझे निसंकोच बता देना
बिना किसी प्रतिरोध के मैं साथ हो जाऊंगा
तेरे कर्तव्य की राह में रोड़े नहीं अटकाऊंगा।
पर कान खोलकर मेरी बात सुन समझ ले
मजबूती से गांठ बांध लें, तू कुछ भी कर ले
मैं तेरी धमकी में नहीं आऊंगा
तुझसे कभी डर भी नहीं पाऊंगा
तेरे खौफ का हौव्वा सिर पर नहीं चढ़ा पाऊंगा,
पर इतनी शराफत भी जरुर दिखाऊंगा
हर समय तुझे अपने से दूर भी न रख पाऊंगा
तेरा मान सम्मान सदा ही बढ़ाऊंगा
तेरे जीवन को नया अनुभव कराऊंगा
तू मेरी दोस्त है सारी दुनिया को बताऊंगा।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 134 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आत्मघात क्यों?
आत्मघात क्यों?
*प्रणय प्रभात*
कैसे समझाऊं उसे
कैसे समझाऊं उसे
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम तो होना वहां
तुम तो होना वहां
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
4604.*पूर्णिका*
4604.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"इशारे" कविता
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
Manju sagar
बारिश आई
बारिश आई
अरशद रसूल बदायूंनी
ये तो कहो...
ये तो कहो...
TAMANNA BILASPURI
गुरु पूर्णिमा का महत्व एवं गुरु पूजन
गुरु पूर्णिमा का महत्व एवं गुरु पूजन
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वक्त वक्त की बात है,
वक्त वक्त की बात है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नारी
नारी
MUSKAAN YADAV
विरासत की वापसी
विरासत की वापसी
Laxmi Narayan Gupta
उठो मुसाफिर कुछ कम करो
उठो मुसाफिर कुछ कम करो
कार्तिक नितिन शर्मा
मैंने क्या कुछ नहीं किया !
मैंने क्या कुछ नहीं किया !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
"ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन, मेरी जान"
राकेश चौरसिया
वो अपने दर्द अपनी पीड़ा में ही उलझे रहे
वो अपने दर्द अपनी पीड़ा में ही उलझे रहे
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
युवा आज़ाद
युवा आज़ाद
Sanjay ' शून्य'
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस
Bodhisatva kastooriya
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
Dr. Rajeev Jain
जबसे देखा शहर तुम्हारा, अपना शहर भूल गए
जबसे देखा शहर तुम्हारा, अपना शहर भूल गए
Shreedhar
वतन की आपबीती
वतन की आपबीती
ओनिका सेतिया 'अनु '
” शायद तु बेटी है ! “
” शायद तु बेटी है ! “
ज्योति
राम नाम अतिसुंदर पथ है।
राम नाम अतिसुंदर पथ है।
Vijay kumar Pandey
सूरज दादा ने ठानी है, अपना ताप बढ़ाएंगे
सूरज दादा ने ठानी है, अपना ताप बढ़ाएंगे
Dr Archana Gupta
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
वो बुद्ध कहलाया ...
वो बुद्ध कहलाया ...
sushil sarna
छप्पय छंद
छप्पय छंद
seema sharma
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...