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8 Aug 2024 · 1 min read

गम की बदली बनकर यूँ भाग जाती है

गम की बदली बनकर यूँ भाग जाती है
******************************

जाने से उनके तन में जान जाती है,
आने से उनके तन में जान आती है।

हर पल हर दम हमदम यूँ संग बहती है,
मन की बातें कैसे वो जान जाती है।

मन भँवरा पागल दीवाना बहकता है,
भीनी – भीनी सी यादें जाग जाती हैँ।

फूलों सा सुंदर उर तो यूँ ही धड़कता है,
साँसों की खुशबू से पहचान जाती है।

मनसीरत आँसू आँखों में भरे रहते,
गम की बदली बनकर यूँ भाग जाती है।
*******************************
🙂सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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