Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2024 · 4 min read

आगे का सफर

आगे का सफ़र

कोविड ने सब तहस नहस कर दिया था , कल तक जो जिंदगी आराम से चल रही थी , अचानक किसी ढलान पर आ गई थी, जीवन के अर्थ खो गए थे , कल तक रेनू जिसे सफल समझ रही थी, वह सब हारा हुआ लग रहा था।

रेनू के पति राम, एम बी ए थे, अच्छी नौकरी थी, दोनों बेटियां पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी थीं. रेनू ने उन्हें क्या नहीं सिखाया था, नृत्य और संगीत में तो दोनों पारंगत थीं। बड़ी बेटी रिद्धि डॉक्टर थी, और छोटी वाली सिद्धि कंप्यूटर इंजीनियर, रिद्धि की अपनी प्रैक्टिस थी और छह महीने का बेटा था, रेनू और उसके पति की जान उसमें फसी थी, जब मौका मिलता सतारा से पूना उसे मिलने पहुंच जाते। सिद्धि का बैंगलोर में अपना स्टार्टअप था, और जल्द ही अपने बॉयफ्रेंड से शादी करना चाहती थी।

राम रेनू की बहुत इज़्ज़त करता था, शादी के समय सबने उसे कहा था, एम ए हिंदी भी क्या कोई क्वालिफिकेशन होती है , इस भाषा ने आधुनिक ज्ञान का समावेश ही नहीं किया , यह एक लोकभाषा है, बस । परन्तु राम रेनू की सादगी पर फ़िदा था , उसका सहज , सरल , घरेलूपन उसके लिए पर्याप्त था ।. शादी के बाद रेनू ने उससे पूछा भी था , ” तुमने मुझ गवार से शादी क्यों की, मुझे तो कुछ भी नहीं आता। ”
राम मुस्करा दिया था, ” आज के बाद ऐसा मत कहना , हम वही होते हैं , जो हम सोचते हैं, हिंदी ही क्यों आज हर क्षेत्र में हम पिछड़ गए हैं, जब भी देश जागेगा और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति होगी , वह हिंदी में ही होगी, सबल चिंतन कभी भी विदेशी भाषा में नहीं होता। ”

इसके बाद रेनू ने यह विषय कभी नहीं उठाया था, जो भी किया पूरे आत्मविश्वास के साथ किया। जितना हो सका राम को घर परिवार की जिम्मेंवारियों से दूर रक्खा, और वो भी दिन दुगनी रात चुगनी तरक्की करता रहा। दोनों बेटियों ने एक के बाद एक हर क्षेत्र में सफलताएं अर्जित की, पड़ोसी, मित्र , रिश्तेदार , सब रेनू की तारीफ करते थे, सब कहते , ‘ऐसी गृहलक्ष्मी हो तो सरस्वती और लक्ष्मी , दोनों स्वयं पधारेंगी। ‘

समय जब करवट लेता है तो उसकी आहट किसी को सुनाई नहीं देती , बस वो आपके सामने होता है और आपको उसे झेलना होता है ।

तीन महीने पहले एक दिन राम शाम को ऑफिस से घर जल्दी आ गए थे , ” बुखार है। ” उन्होंने गंभीरता से कहा।
” कोविड टेस्ट करा लेना चाहिए। ”
” रास्ते में कराता आया हूँ। कल रिपोर्ट आयगी. तब तक तुम अलग रहो। ”
” यह नहीं होने का, मै तुम्हें कारण्टीन मेँ नहीं सड़ने दूँगी। ”
राम थका था, उसने बहस नहीं की और वह सो गया. अगले दिन कोविड पॉजिटिव की खबर मिल गई, बुखार बढ़ रहा था और ऑक्सीजन का स्तर कम हो रहा था, दो दिन आय सी यू मेँ रहने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। रेनू निसतब्ध अपने जीवन के इस मोड़ को देखती रह गई । उसकी भूख प्यास सब बंद हो गई , जीवन जैसे अनंत शून्य में डूब रहा था ।रिद्धि उसे जबरन अपने साथ पूना ले आई।

जिस घर मेँ राम के साथ आकर उसे इतनी ख़ुशी मिलती थी, वही घर उसे काटने को दौड़ा, उसे लग रहा था जैसे उसका कोई अस्तित्व ही नहीं रहा । वह अपने आपको रिद्धि की ज़रूरतों के हिसाब से ढालने लगी , परन्तु उसके भीतर यह प्रश्न निरंतर बना रहता कि यह सब कब तक ऐसे चलेगा। राम के साथ उसकी भविष्य की कितनी योजनायें थी उन सबका क्या होगा, फिर वह आगे पढ़ना चाहती थी , उसकी शिक्षा कब पूरी होगी ! बहुत सोच विचार के बाद एक दिन उसने रिद्धि से कहा , “ मै अपने घर जाना चाहती हूँ। ”

” वहाँ क्या रक्खा है मम्मी, तुम या तो मेरे साथ रहो या सिद्धि के साथ। ”

” क्यों वहाँ सिद्धि अकेली नहीं रहती क्या ?”

” हाँ , पर उसकी बात और है, उसका बिज़नेस है वहाँ ।”

“ तो मै भी कुछ कर लूंगी। ”

” बस अब तुम कोई घरेलु उद्योग करके हमारी नाक कटाओगी। ”

रेनू को इतना ग़ुस्सा आया कि उसने हाथ मेँ पकड़ी बोतल जमीन पर दे मारी। ”

” सॉरी मम्मी, आप का दिल नहीं दुखाना चाहती थी, पर आपने कभी कोई नौकरी नहीं की, आपकी ट्रेनिंग भी नहीं है, आप जानते हो, बिना इंग्लिश के यहाँ सबकुछ कितना कठिन है। और फिर आपको पैसे की ज़रूरत भी नहीं ।”

रेनू शांत हो गई, उसे लगा , रिद्धि जो भी कह रही है , अपनी समझ से ठीक ही कह रही है , परन्तु यदि वो दो बच्चों को इतना काबिल बना सकती है , राम को हर अवसर पर सहारा दे सकती है , तो बावन की उम्र में अपने लिए भी कुछ कर सकती है। ”

उसने रिद्धि से कहा , कुटीर उद्योग में कोई बुराई नहीं , बल्कि यह सब बड़े परिश्रम और हिम्मत से हासिल होता है। तुम्हें इस बात की इज़्ज़त करनी नहीं आती, यह मेरे लिए शर्म की बात है। ”

“ जी मम्मी। ” रिद्धि ने भीगी आँखों से कहा।

रेनू ने उसे किसी छोटी बच्ची की तरह गोद मेँ भर लिया, “ एक आदमी के जाने से दूसरे की ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती , बल्कि उसे नए सिरे से शुरू करनी होती है। व्यक्ति सिर्फ पैसों के लिए काम नहीं करता , मन के संतोष के लिए भी करता है । अब तक मेरी ज़िन्दगी तुम्हारे पापा के साथ संतुष्ट थी , पर अब उनके प्यार की कमी को पूरा करने के लिए मुझे जीवन के नए अर्थ ढूंढने होंगे । तुम और सिद्धि मेरी वैसे ही ऊँगली पकड़ो जैसे मैंने तुम्हारी बचपन मेँ पकड़ी थी, मुझे आत्मनिर्भर बनने के रास्ते बताओ , ताकि मैं वह सब कर सकूं , जो हमेशा करना चाहती थी, और अब तक नहीं कर पाई। ”

“ जी मम्मी। ” और रिद्धि ने माँ की गोदी में सर छुपा लिया।

शशि महाजन – लेखिका

Sent from my iPhone

192 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बिन तेरे जिंदगी हमे न गंवारा है
बिन तेरे जिंदगी हमे न गंवारा है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
"पेरियार ललई सिंह यादव"
Dr. Kishan tandon kranti
नारी शक्ति 2.0
नारी शक्ति 2.0
Abhishek Soni
*सुनिए बारिश का मधुर, बिखर रहा संगीत (कुंडलिया)*
*सुनिए बारिश का मधुर, बिखर रहा संगीत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
खंडकाव्य
खंडकाव्य
Suryakant Dwivedi
sp 60 सेवा भी कीजिए/ चंद साल में
sp 60 सेवा भी कीजिए/ चंद साल में
Manoj Shrivastava
........,!
........,!
शेखर सिंह
Save water ! Without water !
Save water ! Without water !
Buddha Prakash
एक दूसरे से कुछ न लिया जाए तो कैसा
एक दूसरे से कुछ न लिया जाए तो कैसा
Shweta Soni
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
Adha's quote
Adha's quote
Adha Deshwal
कवियों का अपना गम
कवियों का अपना गम
goutam shaw
तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
seema sharma
आप केवल सही या केवल गलत नहीं होते हैं. अक्सर आप दोनों एक साथ
आप केवल सही या केवल गलत नहीं होते हैं. अक्सर आप दोनों एक साथ
पूर्वार्थ
मनोकामना पूर्ण सिद्ध हनुमान मंदिर दादाजी धाम रंगई विदिशा
मनोकामना पूर्ण सिद्ध हनुमान मंदिर दादाजी धाम रंगई विदिशा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रिश्ते निभाने के लिए,
रिश्ते निभाने के लिए,
श्याम सांवरा
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अत्यधिक संवेदनशील होना एक संघर्ष हो सकता है, खासकर ऐसी दुनिय
अत्यधिक संवेदनशील होना एक संघर्ष हो सकता है, खासकर ऐसी दुनिय
पूर्वार्थ देव
समर्पण का नाम प्यार
समर्पण का नाम प्यार
Rekha khichi
रो रो कर आंखों की रोशनी कम हो गई ,
रो रो कर आंखों की रोशनी कम हो गई ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जल कुंभी सा बढ़ रहा,
जल कुंभी सा बढ़ रहा,
sushil sarna
जब दरख़्त हटा लेता था छांव,तब वो साया करती थी
जब दरख़्त हटा लेता था छांव,तब वो साया करती थी
Keshav kishor Kumar
नारी
नारी
Ghanshyam Poddar
तेरी मौन की भाषा समझता हूॅं...
तेरी मौन की भाषा समझता हूॅं...
Ajit Kumar "Karn"
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
Rj Anand Prajapati
तू शबिस्ताँ सी मिरी आँखों में जो ठहर गया है,
तू शबिस्ताँ सी मिरी आँखों में जो ठहर गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4078.💐 *पूर्णिका* 💐
4078.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कविता
कविता
Neelam Sharma
यादें
यादें
Dr fauzia Naseem shad
Loading...