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11 Jun 2024 · 1 min read

नारी शक्ति 2.0

बंदिसें तो थीं बहुत पर हमको ये न रोक पाईं,
बेटियां हैं हां मगर हम चांद को छूकर के आईं,
हम वही जिसने बनाया घर तुम्हारा स्वर्ग जैसा,
हम वही जिसने सजाया घर तुम्हारा घर के जैसा,

है ये जीवन भी हमीं से पर ये दुनिया समझ न पाई,
बेटियां हैं हां मगर हम चांद को छूकर के आईं।

इन तुम्हारे लाड़लों ने घर को बस टुकड़ों में बांटा,
हम वही जिसने की टुकड़ों में नया अंदाज खोजा,
चलके हर बंदिस में भी हमने नया अरमान खोजा,
पूरियां तलने की कोशिश ने हमें मंगल पे भेजा,

पर न था विश्वास तुमको जिसको हम हैं जीत आईं,
बेटियां हैं हां मगर हम चांद को छूकर के आईं।

अष्टमी नवमी दशहरा, गौरी पूजा चौथ करवा,
तीज और फिर सप्तमी को यूं रखा उपवास हमने,
भूखे रहते हम की तुमको हो न दुख तकलीफ कोई,
हमने तो तुमको संभाला पर न संभले हम तुम्हीं से।

सोचती थी सब मिलेगा खोजतीं जिसको हैं आईं,
बेटियां हैं हां मगर हम चांद को छूकर के आईं।

बोलना हमने सिखाया गालियां खाते हमीं ही,
यूं न समझे थे की सब कुछ यूं लुटाएंगे हमीं ही,
……………………………..
अधूरा गीत।

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 158 Views
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