ख़रीद लिया शहर उसने,
ख़रीद लिया शहर उसने,
बिक-बिक कर हर चौराहे पे…
और एक लाचार लिहाज़ का लिहाफ़ ओढ़े,
लकीर खींच रहा था।
जुर्रत वाले थे…
लेकिन बड़े कम,
हर आदमी एक सस्ता जुगाड़ लिए घूम रहा था।
ख़रीद लिया शहर उसने,
बिक-बिक कर हर चौराहे पे…
और एक लाचार लिहाज़ का लिहाफ़ ओढ़े,
लकीर खींच रहा था।
जुर्रत वाले थे…
लेकिन बड़े कम,
हर आदमी एक सस्ता जुगाड़ लिए घूम रहा था।