Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2022 · 6 min read

बिखरतो परिवार

जन्म रै साथै सगळा सूं पैळा आपा जकी लोगां सूं जाण-पिछाण करा, बो हुया करै ह परिवार। बेमाता रा लिख्योड़ा आखर अर करमा रा जोग सूं बिधाता री मरजी थकां आपा ई संसार मांही किणी परिवार म जन्मां। ई संसार मांही आया पछै मिनख सगळां सूं पैळा परिवार रै लोगां सूं ही परिचित हुया करै ह। परिवार सूं हिल-मिल वणा रै सागै प्रेम सूं आपणी जीवण री जात्रां नै सुरु करै ह। परिवार, लोगा रो इक समूह हुया करै ह, जणां नै आपा रिश्तेदार कैया करां हा, जकां सूं आपणो खून रो संबंध हुवै ह। जिण लोगां सूं आपणो खून रो संबंध हुया करै ह, उण नै हीज परिवार कैया करै ह। परिवार मांही घणा’कर रिश्ता हुवै ह, जकां सूं आपा नै आपणी पहचाण कराई जावै ह। जिण मांही भाभो अर बाबोसा, दादोसा अर दादीसा, काका अर काकीसा, ताऊंसा अर ताईसा, नानोसा अर नानीसा, मामोसा अर मामीसा, मासोसा अर मासीसा, फूफोसा अर भूआसा, भाईसा, बैनड़, इण भांत घणा ही रिश्ता हुया करै ह। परिवार मांही टाबर रै जन्मतां ही सगळा रिश्ता आपो आप ही बदल जायां करै ह। नुवै मिनख रै आता ही सगळा रै साथै उण रो संबंध जुड़ जावै, अर रिश्तां मांही आपो आप ही तरक्की हुय जावै। कितां ही रिश्ता तो जन्म रै साथै ही मिल जावै, अर कितां ही रिश्ता आपा आपणी सूझ-बूझ सूं जोड्या करा हा। कितां ही रिश्ता समाज सूं मिल्या करै ह, अर कितां ही रिश्ता हेत अर प्रेम सूं किणी रै भी सागै जुड़ जावै ह। जनमतां रै सागै मिल्योड़ा रिश्ता रै अलावा घणा ही रिश्ता जन्म रै बरसा बाद जुड्या करै ह, घणा ही रिश्ता हेत अर प्रेम सूं कुदरत सूं पनप जावै अर घणा ही रिश्ता किणी प्रकार रो संबंध नीं होवतां थकां भी आपणे जीवण मांही आपणो प्रभाव बिखेरे।
जै रिश्ता जन्मतां ही आपणै साथै जुडे ह, वणां सूं ही आपणो नाम चालै ह। जिण रिश्ता सूं आपणो नाम चालै ह, वणा नै ही खून रो संबंध कैवे ह। इण रिश्ता मांही मोटां तौर सूं भाभो अर बाबोसा, दादोसा अर दादी सा, काका अर काकी सा, ताऊंसा अर ताई सा, नानो सा अर नानी सा, मामो सा अर मामीसा, भैळा ह। ऐ रिश्तां मिनख रै सगळा सूं नैणे हुया करै ह। इण रिश्ता रा चयन माथै किणी रै भाई जी री मरजी नीं चाल्या करै ह, अठै तो बेमाता रा लिख्योड़ा आखर ही भणीजै। करमा रा जोग सूं ही मिनख नै परिवार रो सुख मिल्या करै ह। परिवार रो सुख किण सूं कितौ अर कठै मिलेला बिधाता लेख मांही पैळा ही मांड्यो रेवै। विधाता लेख रा आखर सांच करण सारुं मिनख अठै कठपुतली जियां नाच्या करै ह। जियां सुख करमा मांही लिख्या रैवे, बियां ही मिनख अठै भोग्या करै ह। कुण, कद, कठै, किण रै साथै अर किण री कूख सूं जनम ले ला, सगळी करमा जोग ह। इतो होता थकां भी परिवार रो सुख मिनख नै पूर्ण रुप सूं तृप्त कर दिया करै ह। आपणा लोगां सूं मिल्योड़ो लगाव, हेत अर प्रेम जीवण री चाव नै बणार राखै।
इण तरह इक मिनख आखो जीवण रिश्ता रै बिचाळै रैवता थकां आपणी जीवन री यात्रा सुखद सूं बिता दिया करै ह। ई सुखद यात्रा रै चाळता थकां मिनख आपणी सूझ-बूझ सूं आपणी जिंदगी री गाड़ी नै हाकै ह, परिवार सूं मिल्योड़ा संस्कारां री नीवं माथै आपणा परिवार सूं बणा’र चाळै ह। परिवार रा माहौल रो परिवार रै संस्कारां माथै घणो कर असर हुया करै ह। या तो मिनख परिवार सूं सीधो चाळै ह या बिगाड़ चाळै ह। ऐ सगळी बातां परिवार रो परिवेश अर संस्कारा री टैक माथै रैया करै ह। जैड़ा परिवेश मांही मिनख पळै-बढै उणी तरह रो जीवण वणा री धूरी बण जाया करै ह। आपणा बड़ेरा ने जकी करतां देखे, जियां री बै सोच राखे, बियां ही सांचा मांही आपणो जीवन ढालण री ऐड़ी सूं लगार चोटी तक रो जोर लगा दिया करै ह। परिवार रा दियोड़ा संस्कार अर रैवण रो तरीकौ ही आपणी संस्कृति नै आगळा दिनां खातिर परंपरा बणा दिया करै ह।
रामायण अर महाभारत धार्मिक पौथ्या पारिवारिक जीवण रो लूठो उदाहरण ह। इक परिवार रै भैळप री गाथा कैया करे ह, तो बिजोड़ी लालच अर अभिमान रै परिणाम री। इक पारिवारिक प्रेम रो बाग लगावण री बात कैवे ह, तो दूजी उण नै उजड़ बनावण वाळा कारण री। इक मांही मिनख आपणै थोड़ा सा सुख अर लालच रै सारुं आपणी पीढ़ीयां नै दुखमय कर देवे ह, तो इक मांही एक ही परिवार सूं कई राजवंश बनजाया करै ह । जैँणा संस्कार परिवार रा दियोड़ा हुवै आगळा री गत उणी भांत हुया करै ह। मिनख उण थोड़ै सुख रै सारुं आपणी आगळी पीढ़ी रै सांमी ऐड़ा काम कर दिया करै ह, जकी सूं आगे आवण वाळी पीढ़ीयां भी दुख भोगे। न करता थकां भी पुरखा री लगायोड़ी लाय मायनै पीढीयां री पीढीयां खप जावै। अर करमां रा भचीड़ा खावै ह। चार पीढीयां रै बाद री पीढी नै ओ तक ठाह कौनी रैवे कै, ई बैर रौ कारण कीं ह। बैर ने वो पुरखा री दियोड़ी वीरासत मान ढ़ोतो जावै, अर आगे वीरासत देतो जावै। ई बैर रो कठै अंत नी हुया करै। पुरखा री दियोड़ी राड़ रै लारै कितां ही मिनख आपणै मारग सूं भटक जाया करै ह, अर रांड़ रै खातिर अपणा ही लोगां सूं भिड़ जावै ह।
ऐ सगळी बांता नै सांच करती म्हारै मनड़ा री इक वात ह। जकी म्है आज सगळा समाज रै सांमी रखणो चाहुं हूं। परिवार रो मिनख ही किणं चीज मांही आंधो हुयर ऐड़ा काम करै ह, जका रो हरजाणो पीढीयां भोगे। अर परिवार रो मिनख ही संस्कारांयुक्त काम करै ह, जिण सूं परिवार सदा रै वास्तै इक हो जावै अर पीढीयां नै भी इण ही मारग पर चाळण री सीख देवे ह। म्हारी आ वात परिवार रै प्रेम री चासनी मांही डूबोयोड़ी मिष्ठान ह। आ वात भायड़ा अर बैनड़ रै भैळप री सैनाण ह। वात संयुक्त परिवार रो लूठो अर अनौखो चित्राम ह। आ वात विरासत मांही मिल्योड़ा संस्कारां रो प्रकट रुप ह। आ वात परिवार रै एकठ रो सुपनो संजौतां मायड़ अर बाप री वाट ह। आ वात दो पाटां रै बिचाळै पिसतां पौतां अर पौती रै मनड़े रा छाला ह। आ वात गलत नै गलत नी कह सकण री मर्यादा ह। आपणा नै अपणा रै खिलाफ करतां खून रा नाता ह, धन अर माया रै सारुं बिगड़ता रिश्ता ह। अर अपणा हाथां सूं अपणी संस्कृति नै मिटाता नर-नार ह। आ बात कोई इक परिवार री कौनी, आखा समाज मांही फैल्योड़ी मांड़ी सोच री ह। कियां मिनख आपणा इक परिवार नै बिखेर देवे, कियां रिश्ता री मर्यादा नै बिगाड़ देवे, कियां खुशीयां माही तुळी गाळै, कियां पौता अर पौती नै दो पाटा रै बिचाळै पिसण नै मजबूर होवणो पड़े अर किया टाबर आपणा मायत अर बाप रै आंख्यां माही आंसूड़ा देखे। शिक्षा तो सगळा जणां संयुक्त परिवार मांही रैवण री देवे, पण रैहणो कियां ह ओ कोई नीं बतावै। परिवार नै इक साथै चळावण सारुं किण प्रकार रां धैर्य री जरूरत पड़ै ह कीं ठाह कौनी। इण तरह आंसूड़ा री स्याही मांही डूब्योड़ी कलम सूं लिख्योड़ी आ रचनां आप सगळा रै सांमी रखूं हूं। ईण सूं म्हारै मनड़ा री भी निकल जावैळा, अर समाज रा सांमी ईक नुवौ चित्राम मंड़ेला।
इण भांत री वात म्हनै लिखड़ी तो नीं चाहिजै, पण आपणी संस्कृति नै आपणी आंख्या रै सांमै मिटतो कौनी देख सकूं हूं। सब सूं ऊंचौ देस अर संस्कृति हुया करै ह। इण वास्तै इक जागरुकं मिनख होवण रो फर्ज अदा करुं हूं समाज सारुं। आ वात लौगां नै ओ संदेस जरुर दैवेला की, किण-किण कारणां अर किण भांत सूं परिवार बिखर जाया करै ह। किती पीड़ा हुया करै ह, परिवार रै टूटण री। इक जणा री परिवार नै बांटण री जिद किया संयुक्त परिवार रो सुपणौ संजोवता जणा रै मनड़ा मांही ठेस पहुंचावै। अर किण तरह लालच अर स्वारथ रै कारण इक मिनख समाज रो गद्दार बाज्या करै ह।
आज परिवार सूं बिछड़ण री पीड़ा जकी म्है म्हारा मनड़ा मांही महसूस करुं हूं, उत्ती ही पीड़ा पढण आळा पढैरा रा मनड़ा मांही भी हुवैळा। लिखेरा तो आपणी सोच अर कल्पना सूं आपणा बिचार कागज माथै मांड़ दिया करै ह, पण पढैरा उण पलां नै रुबरु हुय’र जीया करै ह। ई रचनावां नै लिखण रो उद्देश्य ही ओ हीज ह की पढैरा इण सूं की शिक्षा लेवे अर कदै भी आपणा परिवार सूं अळगो नीं हुवै। हुवणो तो छैटी री बात, मनड़ा मांही ऐड़ो ख्याल भी नीं लावै की कोई कदैई परिवार सूं छैटी हुयर कदी खुश रैवेला। भगवान मिनख जूण दी ह, मिनखा रै जियां आपणा परिवार री किमत समझै अर मोत्यां सूं मूंगा रिश्ता नै प्रेम भाव सूं निभावै। पौथी लिखण रो काम सुरु तो कर दियो हूं 6-7 महिनां मांही आप सगळा रै सामै हुवैळा।
अठै आपणा शब्दां नै विराम देतो थको म्है आप सगळा सूं विदा लेऊं हुं। अर आगळी मुळाकात रचनांवा मांही हुवैला।
जठै तांही राम राम

दिनांक- 26नवंबर 2022
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान
ठि.- बनेड़ा (राजपुर) जिला-भीलवाड़ा
राजस्थान

Language: Rajasthani
3 Likes · 278 Views

You may also like these posts

यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
বিষ্ণুর গান
বিষ্ণুর গান
Arghyadeep Chakraborty
''आशा' के मुक्तक
''आशा' के मुक्तक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नज़र मिल जाए तो लाखों दिलों में गम कर दे।
नज़र मिल जाए तो लाखों दिलों में गम कर दे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रामलला फिर आएंगे
रामलला फिर आएंगे
इंजी. संजय श्रीवास्तव
********* बुद्धि  शुद्धि  के दोहे *********
********* बुद्धि शुद्धि के दोहे *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दरख़्त पलाश का
दरख़्त पलाश का
Shakuntla Shaku
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
दीपक झा रुद्रा
Style of love
Style of love
Otteri Selvakumar
यक्षिणी-10
यक्षिणी-10
Dr MusafiR BaithA
3761.💐 *पूर्णिका* 💐
3761.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
राम आ गए
राम आ गए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
गुरु चरणों की धूल
गुरु चरणों की धूल
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Janmashtami – Celebration of Lord Krishna’s Birth
Janmashtami – Celebration of Lord Krishna’s Birth
Laddu Gopal Dress
बचपन के दिन
बचपन के दिन
Surinder blackpen
जाति-धर्म
जाति-धर्म
लक्ष्मी सिंह
समझ
समझ
अखिलेश 'अखिल'
श्री राम वंदना
श्री राम वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
శ్రీ గాయత్రి నమోస్తుతే..
శ్రీ గాయత్రి నమోస్తుతే..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।
तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।
Phool gufran
'सत्य मौन भी होता है '
'सत्य मौन भी होता है '
Ritu Asooja
एक स्त्री का किसी पुरुष के साथ, सरल, सहज और सुरक्षित अनुभव क
एक स्त्री का किसी पुरुष के साथ, सरल, सहज और सुरक्षित अनुभव क
Ritesh Deo
*सूरत चाहे जैसी भी हो, पर मुस्काऍं होली में 【 हिंदी गजल/ गीत
*सूरत चाहे जैसी भी हो, पर मुस्काऍं होली में 【 हिंदी गजल/ गीत
Ravi Prakash
पीड़ा का अनुवाद
पीड़ा का अनुवाद
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
दोहा पंचक. . . सागर
दोहा पंचक. . . सागर
sushil sarna
तपती दुपहरी
तपती दुपहरी
Akash RC Sharma
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...