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नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
Tasveerai-e muhabbat ko todh dala khud khooni ke rishto n
sp135 फेर समय का/ साथ नहीं कुछ
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
संजीवनी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कपट का भाव ईर्ष्या या निजी स्वार्थ से पैदा होता है।
दिये को रोशननाने में रात लग गई
नयी कोपलें लगी झाँकने,पा धरती का प्यार ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
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“🌟 A habit missed once is a mistake. A habit missed twice is