महिला दिवस

छोटी सी बात भी
दिल को है छू जाती
दुनिया भर की उलझनें
अक्सर समझ नहीं पाती
रिश्ते नाते, अपने पराए
सबको संभालती हूं
कभी-कभी तो
खुद को भी भूल जाती हूं
खुले आकाश में कभी
कभी बंद कमरे में सिमटी
समझदारी से कदम बढ़ाती
कभी नटखट, चंचल सी
कुछ लम्हे हंसने बोलने के
बस इतना ही चाहूं जिंदगी से
और क्या कहूं, मैं ऐसी ही हूं
मिलो मुझसे, मिलो खुद से
Happy Women’s Day ❤️
चित्रा बिष्ट