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29 Apr 2024 · 1 min read

विरले ही संवेदनशील

आधुनिकता की चकाचौंध में
मानवता शून्य हो गयी,
स्वार्थ वश अहंकार से
संवेदना शून्य हो गयी,
दिखावेपन में आजकल
विवेकहीन हो गयी,
जल्दबाजी से पाने में
अधैर्य पूर्ण हो गयी,
मगर बचा है कहीं-कहीं किसी के
संवेदना के भाव मन में ,
दयालु प्रवृत्ति उदार कर्म,
विरले है मानव मिलते अति जतन।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान

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