Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2024 · 1 min read

देश भक्ति गीत

सैन्य के ये जवाँ काम क्या कर गए
क़र्ज़ अपने वतन का अदा कर गए

ए वतन…… मेरे वतन….!
ए वतन…… प्यारे वतन….!

थक गए थे मगर वो रुके ही नहीं
मौत के सामने वो झुके ही नहीं
माटी के लाल वो माटी में सो गए
धूल में दुश्मनों को मिला कर गए
सैन्य के ये जवाँ काम क्या कर गए
क़र्ज़ अपने वतन का अदा कर गए

ए वतन…… मेरे वतन….!
ए वतन…… प्यारे वतन….!

नाज़ तो हैं हमें हिन्द की फौज पर
चल रही गोलियाँ पर रहे वो निड़र
मौत से ज़िन्दगी वो चुरा कर गए
खौंफ तो वैरियों में बिठा कर गए
सैन्य के ये जवाँ काम क्या कर गए
क़र्ज़ अपने वतन का अदा कर गए
ए वतन…… मेरे वतन….!
ए वतन…… प्यारे वतन….!

धर्म की भिन्नता, भिन्न है जातियाँ
सुर सदा एक हो, भिन्न हो बोलियाँ
बागबाँ ये गुलिस्ताँ सजा कर गए
एकता का सबक वो सिखा कर गए
सैन्य के ये जवाँ काम क्या कर गए
क़र्ज़ अपने वतन का अदा कर गए
ए वतन…… मेरे वतन….!
ए वतन…… प्यारे वतन….!
नीलम शर्मा ✍️

Language: Hindi
1 Like · 167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

3202.*पूर्णिका*
3202.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन की गाँठें
मन की गाँठें
Shubham Anand Manmeet
*अभी और कभी*
*अभी और कभी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दलितों जागो अपना उत्थान करो
दलितों जागो अपना उत्थान करो
डिजेन्द्र कुर्रे
वोट डालने जाएंगे
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
" मुसाफिर "
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते
रिश्ते
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
निर्णय
निर्णय
राकेश पाठक कठारा
चाँदनी रातों में, सितारों की बातों में,
चाँदनी रातों में, सितारों की बातों में,
Kanchan Alok Malu
*जपना सीखो नाम-हरि, निर्मल रखो विचार (कुंडलिया)*
*जपना सीखो नाम-हरि, निर्मल रखो विचार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
पूर्वार्थ
17. बेखबर
17. बेखबर
Rajeev Dutta
मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
Rj Anand Prajapati
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
VINOD CHAUHAN
दोहा पंचक. . . . चिट्ठी
दोहा पंचक. . . . चिट्ठी
sushil sarna
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
*बचपन*
*बचपन*
Dushyant Kumar
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
Taj Mohammad
गुज़ारिश आसमां से है
गुज़ारिश आसमां से है
Sangeeta Beniwal
बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है
बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है
Sarfaraz Ahmed Aasee
बड़ी लाचार करती है ये तन्हाई ,ये रुसबाई
बड़ी लाचार करती है ये तन्हाई ,ये रुसबाई
दीपक बवेजा सरल
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
आवाज़
आवाज़
Dipak Kumar "Girja"
माता - पिता राह में चलना सिखाते हैं
माता - पिता राह में चलना सिखाते हैं
Ajit Kumar "Karn"
#सीधी_सी_बात।
#सीधी_सी_बात।
*प्रणय प्रभात*
यें जो तेरे-मेरे दरम्यां खाई है
यें जो तेरे-मेरे दरम्यां खाई है
Keshav kishor Kumar
प्रदुषण का प्रभाव
प्रदुषण का प्रभाव
Seema gupta,Alwar
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
धूप थी छाँव थी फूलों की बेशुमार बहार थी।
धूप थी छाँव थी फूलों की बेशुमार बहार थी।
Madhu Gupta "अपराजिता"
Loading...