Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2024 · 1 min read

सत्याधार का अवसान

सत्य क्यों इतना प्रतीत निष्ठुर है ?
असत्य क्यों इतना प्रतीत मधुर है ?

क्यों सत्य सबसे अलग इतना एकाकी
पड़ गया है ?
क्यों असत्य का साथ देने वालों का गढ़ सा
बन गया है ?

क्यों सत्य पर दमन के सतत् वार हो रहे हैं ?
क्यों असत्य के सर्वसमर्थित वारे न्यारे हो रहे हैं ?

क्यों नीति , आदर्श , संस्कार सब कोरी बातें
होकर रह गई है ?
क्यों स्वार्थ ,लोलुपता, छल कपट , छद्म ,
जीवन का लक्ष्य बन गई है ?

क्यों पद ,धन ,वैभव , प्राप्ति हेतु चाटुकारिता
जीवन की व्यवहारिकता बन गई है ?
क्यों सत्य निष्ठा , कर्म निष्ठा , धैर्य एवं साहस की परीक्षा हो रही है ?

सत्य की राह क्यों इतनी कंटक युक्त जटिल है ?
असत्य का पथ क्यों इतना निर्बाध सरल है ?

क्या यही कलयुग की पहचान है ?

जिसमें सत्य के आधार का अवसान है ।

या प्रभु की विनाश लीला का पूर्वाभान है ?

2 Likes · 54 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चल बन्दे.....
चल बन्दे.....
Srishty Bansal
ज़ेहन में हर घड़ी
ज़ेहन में हर घड़ी
Chitra Bisht
अन्याय हो रहा यहाॅं, घोर अन्याय...
अन्याय हो रहा यहाॅं, घोर अन्याय...
Ajit Kumar "Karn"
खत और समंवय
खत और समंवय
Mahender Singh
ज्ञान -दीपक
ज्ञान -दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
फूल
फूल
आशा शैली
बेटी
बेटी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
कुंवारों का तो ठीक है
कुंवारों का तो ठीक है
शेखर सिंह
बाहर मीठे बोल परिंदे..!
बाहर मीठे बोल परिंदे..!
पंकज परिंदा
कुछ हृदय ने गहे
कुछ हृदय ने गहे
Dr Archana Gupta
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
श्रद्धा और विश्वास: समझने के सरल तरीके। रविकेश झा।
श्रद्धा और विश्वास: समझने के सरल तरीके। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
"किस्मत भरोसे चलते हैं लोग ll
पूर्वार्थ
"दास्तान"
Dr. Kishan tandon kranti
4. A Little Pep Talk
4. A Little Pep Talk
Ahtesham Ahmad
📚पुस्तक📚
📚पुस्तक📚
Dr. Vaishali Verma
बूढ़ा बापू
बूढ़ा बापू
Madhu Shah
तुमको एहसास क्यों नहीं होता ,
तुमको एहसास क्यों नहीं होता ,
Dr fauzia Naseem shad
गुनगुनाए तुम
गुनगुनाए तुम
Deepesh Dwivedi
विरक्ती
विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
कितना आसान है मां कहलाना,
कितना आसान है मां कहलाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आत्म मंथन
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
क्षेत्रक
क्षेत्रक
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
surenderpal vaidya
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़ेहन उठता है प्रश्न, जन्म से पहले कहां थे, मौत के बाद कहां
ज़ेहन उठता है प्रश्न, जन्म से पहले कहां थे, मौत के बाद कहां
Dr.sima
दोहा पंचक. . . . जिंदगी
दोहा पंचक. . . . जिंदगी
sushil sarna
“एडमिन और मोडरेटर”
“एडमिन और मोडरेटर”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...