“किस्मत भरोसे चलते हैं लोग ll
“किस्मत भरोसे चलते हैं लोग ll
मेरी मेहनत से जलते हैं लोग ll
बिगाड़ तो सकते नहीं मेरा कुछ,
सिर्फ अपना हाथ मलते हैं लोग ll
मेहनत के नाम पर छिपते हैं,
अपने आप को छलते हैं लोग ll
दाग चेहरे पर लगे हुए हैं,
और आइना बदलते हैं लोग ll
आजकल काम से ज्यादा,
चापलूसी पर पलते हैं लोग ll”