Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Apr 2024 · 1 min read

निराला का मुक्त छंद

निराला का मुक्त छंद
भी मैं ही हूँ
पंत का प्रकृति प्रेम
भी मैं ही हूँ
प्रसाद का आनंदवाद
भी मैं ही हूँ
महादेवी की रहस्यमई अनुभूति
भी मैं ही हूँ
हाँ..
मैं ही हूँ कविता
कविता मैं ही हूँ….

181 Views
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

मैं खुद से ही खफा हूं ..
मैं खुद से ही खफा हूं ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
*जानो होता है टिकट, राजनीति का सार (कुंडलिया)*
*जानो होता है टिकट, राजनीति का सार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
थोड़ा विश्राम चाहता हू,
थोड़ा विश्राम चाहता हू,
Umender kumar
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
Shweta Soni
*मधु मालती*
*मधु मालती*
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
जग से कभी न बाँटिऐ,
जग से कभी न बाँटिऐ,
sushil sarna
मेरा नौकरी से निलंबन?
मेरा नौकरी से निलंबन?
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मोह की समाप्ति भय का अंत है,
मोह की समाप्ति भय का अंत है,
पूर्वार्थ
किसी से भी
किसी से भी
Dr fauzia Naseem shad
निभाना नही आया
निभाना नही आया
Anil chobisa
।।
।।
*प्रणय*
"नसीहत और तारीफ़"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पहला कदम...
पहला कदम...
Manisha Wandhare
जीना सीखा
जीना सीखा
VINOD CHAUHAN
Pyasa ke dohe (vishwas)
Pyasa ke dohe (vishwas)
Vijay kumar Pandey
गतिमान रहो
गतिमान रहो
श्रीकृष्ण शुक्ल
वृक्ष और मानव जीवन
वृक्ष और मानव जीवन
अवध किशोर 'अवधू'
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
मेरी आँखों से जो ये बहता जल है
मेरी आँखों से जो ये बहता जल है
Meenakshi Masoom
What if...
What if...
R. H. SRIDEVI
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
सत्य कुमार प्रेमी
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
24/247. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/247. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
Acharya Shilak Ram
Loading...