Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2024 · 1 min read

मन की गति

मन बहुत चंचल होता है। मन पर नियंत्रण बहुत कठिन है। दरअसल उस लकड़हारे ने खूंखार शेर से राजा की जान बचाई। राजा से पुरस्कार स्वरूप उसने एक रात के लिए राजनर्तकी कामिनी की सेवाएँ मांगी। वो राजनर्तकी अति सुन्दर होने से राजा को सर्वाधिक प्रिय थी।

वचनबद्ध राजा ने आदेश दिया कि आज की रात उस राजनर्तकी कामिनी को उस लकड़हारे के पास उनकी सेवा में भेज दी जाए। राजा के हुक्म की तामीली की गई।

उस लकड़हारा ने राजनर्तकी से अनुरोध किया कि वे उनकी पत्नी की वेशभूषा धारण कर शयनकक्ष में आएँ। पत्नी की वेशभूषा में लकड़हारे ने देखा कि वह राजनर्तकी उनकी अपनी पत्नी के आगे सुन्दरता के मामले में कुछ ना थी।

लकड़हारे ने उसी क्षण राजनर्तकी कामिनी को सैनिकों की अभिरक्षा में राजमहल के लिए बा-इज्जत विदा कर दिए।

प्रकाशित लघुकथा संग्रह : ‘मन की आँखें’ (दलहा, भाग-1) से,,,,

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 135 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

" जीवन "
Dr. Kishan tandon kranti
गुमनाम ईश्क।
गुमनाम ईश्क।
Sonit Parjapati
नव वर्ष 2025 की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं
नव वर्ष 2025 की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं
Sushil Sarna
जीवन इच्छा
जीवन इच्छा
Sudhir srivastava
सहधर्मिणी
सहधर्मिणी
Deepesh Dwivedi
गुनाह ना करके भी
गुनाह ना करके भी
Harminder Kaur
मानक
मानक
Khajan Singh Nain
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
शेखर सिंह
रूठना और भी खूबसूरत हो जाता है
रूठना और भी खूबसूरत हो जाता है
पूर्वार्थ
3088.*पूर्णिका*
3088.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दीवानी कान्हा की
दीवानी कान्हा की
rajesh Purohit
रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.!
रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.!
पंकज परिंदा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Be A Spritual Human
Be A Spritual Human
Buddha Prakash
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आखिरी जीत
आखिरी जीत
Heera S
पंछी अब तुम कब लौटोगे?
पंछी अब तुम कब लौटोगे?
Dr. Sukriti Ghosh
भोर पुरानी हो गई
भोर पुरानी हो गई
आर एस आघात
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
माँ की ममता,प्यार पिता का, बेटी बाबुल छोड़ चली।
माँ की ममता,प्यार पिता का, बेटी बाबुल छोड़ चली।
Anil Mishra Prahari
लक्ष्य
लक्ष्य
Mansi Kadam
मेरी मां
मेरी मां
Jyoti Roshni
कहा कहां कब सत्य ने,मैं हूं सही रमेश.
कहा कहां कब सत्य ने,मैं हूं सही रमेश.
RAMESH SHARMA
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
sushil sarna
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
Rituraj shivem verma
स्पंदन  को  संगीत   मिला  था
स्पंदन को संगीत मिला था
गुमनाम 'बाबा'
Loading...