कोई नहीं साथ

कोई नहीं साथ
कोई नहीं साथ, फिर भी खेलूँगा मैं होली ।
तमन्ना तसल्ली से करुँगा मैं ठिठोली ।।
आँखों की पिचकारी में ऑंसू के रंग भरकर,
यादों की भाँग पीकर खाऊँगा गम की गोली ।।।
कोई नहीं साथ
कोई नहीं साथ, फिर भी खेलूँगा मैं होली ।
तमन्ना तसल्ली से करुँगा मैं ठिठोली ।।
आँखों की पिचकारी में ऑंसू के रंग भरकर,
यादों की भाँग पीकर खाऊँगा गम की गोली ।।।