होली
भरकर हृदय में प्रेम का रंग
अपनी मीठी बोली में !
आ खेल ले रंग
मेरे संग होली में !!
समय नही बेरंग गुमसुम
उदास जीने का !
मौका है दुख को पछाड़
दर्द और गम पीने का !!
मेरी भावनाओं का रंग
जब तन से अन्तर्मन तक जाएगा !
देखना तुम उत्साह उल्लास के साथ
मन भी फाग गाएगा !!
फिर कितना भी दुःख हो
जीवन की फगुनाई में !
डाल देना हंसी का मदमस्त रंग
इस काली परछाई में !!
देखकर जिंदगी भी करेगी
मनभावन रंगो की बौछार !
कहेगी तुमसे ! खेलो तुम खेलो
जमकर रंगो का त्यौहार !!
• विशाल शुक्ल