Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2024 · 1 min read

होली का त्यौहार

माहौल पूरा रंगीन है
बंट रहा मीठा और नमकीन है।
गुलाल और गुब्बारों से सजा बाज़ार है
देखो आया होली का त्यौहार है।
गिले-शिकवो को तुम आज भूल जाओ
हंसी – ख़ुशी से तुम यह उत्सव मनाओ।
धमा-चौकड़ी बच्चों को करने दो
उनको तुम यह उत्सव जीने दो।
राधाकृष्ण भक्ति में झूम रहा संसार है
जैसे पूरा विश्व ही वृंदावन धाम है।
गुजिया – भल्ले से महकता हर घर आज है।
देखो आया होली का त्यौहार है।

– श्रीयांश गुप्ता

Language: Hindi
1 Like · 160 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
डॉ० रोहित कौशिक
..
..
*प्रणय प्रभात*
किसी ने कर लिये गुनाह कोई पीर बन बैठा।
किसी ने कर लिये गुनाह कोई पीर बन बैठा।
Madhu Gupta "अपराजिता"
कोई तो है !
कोई तो है !
ज्योति
इश्क़ में  क्या अज़ाब है साहिब,
इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब,
पंकज परिंदा
मेरे  गीतों  के  तुम्हीं अल्फाज़ हो
मेरे गीतों के तुम्हीं अल्फाज़ हो
Dr Archana Gupta
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
आंखों से पिलाते हुए वो रम‌ चली गई।
आंखों से पिलाते हुए वो रम‌ चली गई।
Sachin Mishra
अव्यक्त प्रेम (कविता)
अव्यक्त प्रेम (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
ठहरना मुझको आता नहीं, बहाव साथ ले जाता नहीं।
ठहरना मुझको आता नहीं, बहाव साथ ले जाता नहीं।
Manisha Manjari
यही चाहूँ तुमसे, मोरी छठ मैया
यही चाहूँ तुमसे, मोरी छठ मैया
gurudeenverma198
मज़दूर
मज़दूर
MUSKAAN YADAV
" कभी "
Dr. Kishan tandon kranti
मानवता
मानवता
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
दिल में इश्क भरा है
दिल में इश्क भरा है
Surinder blackpen
ईश्वर का लेख नियति से बदल गया
ईश्वर का लेख नियति से बदल गया
Trishika Dhara
মা মনসার গান
মা মনসার গান
Arghyadeep Chakraborty
ये और मैं
ये और मैं
Sakhi
मां
मां
Kaviraag
राधिका मनमीत मोहन श्याम साँवरिया।
राधिका मनमीत मोहन श्याम साँवरिया।
Neelam Sharma
यूं तन्हाइयों को अपने अंदर समेटे रक्खा है मैंने,
यूं तन्हाइयों को अपने अंदर समेटे रक्खा है मैंने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
Sunil Maheshwari
शरीफों में शराफ़त भी दिखाई हमने,
शरीफों में शराफ़त भी दिखाई हमने,
Ravi Betulwala
शीर्षक - स्नेह
शीर्षक - स्नेह
Sushma Singh
संत कबीर
संत कबीर
Indu Singh
पत्ते
पत्ते
Uttirna Dhar
"बीच सभा, द्रौपदी पुकारे"
राकेश चौरसिया
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
बताओगे कैसे, जताओगे कैसे
Shweta Soni
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ये माना तुमने है कैसे तुम्हें मैं भूल जाऊंगा।
ये माना तुमने है कैसे तुम्हें मैं भूल जाऊंगा।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...