कोई तो है !
बातें , यादें , ख्यालातें ,
सब एक सा है।
वो खुले आसमां में ,
मेरा बंद दरवाजा है।
कोई तो है ,
जो मुझ सा है !
वहीं नर्मी, वहीं सख्ती,
तबियत भी है एक सी लगती।
एक ही नदी के हम दो कस्ती ,
साहिल एक अलग हस्ती ।
कोई तो है ,
जो मुझ सा है !