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14 Mar 2024 · 1 min read

जिंदगी जियो

जिंदगी पर लिखो नहीं
जिंदगी जियो

मैंने देखा हैं लोग जिंदगी पे लिखते बहुत
पर खुद जिंदगी असल में जी पाते नहीं

कहते है बहुत सजती है तुम पे मुस्कुराहट
फिर पता नहीं क्यों,खुद मुस्कुराते ही नहीं

सब जानते है फिक्र से कुछ नहीं होने वाला
फ़िर इस फिक्र को सीने से हटाते ही नहीं

सब राख में मिल जाना है इक दिन
ये समझ के भी अमल में लाते ही नहीं

जोड़ते है पैसा रुपया क्यों इतना मेरे यारों
दुआयों के सिवा कुछ साथ ले जाते नहीं

सपनों की तामीरदारी बहुत करते है ये
पर सपनो को हकीकत से रूबरू कराते नहीं

लोग क्यों है इतने उलझें उलझें से यारों
इनके ओर,छोर समझ आते ही नहीं

यूं तो बहुत गम है बताने को मगर
मुझको लोगों को बताने आते ही नहीं

मुस्कुरा देती हुं दोस्तों की गंभीरता पर यारों
कुछ लोग समझ आकर भी समझ आते नहीं
दीपाली अमित कालरा

Language: Hindi
80 Views

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