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14 Feb 2024 · 1 min read

क्यूं में एक लड़की हूं

डरी डरी सी सहमी सहमी सी
आजकल क्यूं में रहतीं हूं
सितम बरसाती है दुनिया मुझ पे
क्यूं में एक लड़की हूं

बदला है ज़माना फिर भी
कहीं पर क्यूं अंधेरा है
नए विचारों के पिछे पिछे
खेल पूराना क्यूं चलता है

हर बात पर रोखें मुझको
क्या शक्ति का मेरे अंदाजा है
झांसी में जिजाऊ में,फिर भी
लड़की होना क्यूं नफरत है

इस दुनिया के चाल-ढाल से
जब खुद को दूर में रखतीं हूं
कहता है तब ज़माना हम से
मैं लड़की हद से गई हूं

कुछ करें तो हम पाप मानें
ना करें तो समझें खिलौना
लड़की तेरी औकात ही क्या है
क्यूं ये बोले अनपढ़ ज़माना

Language: Hindi
107 Views

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