Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

आयी ऋतु बसंत की

आयी ऋतु बसंत मधुर,करके अनुपम साज।
विद्वत कहते हैं इसे,यही सृष्टि की ताज।
यही सृष्टि की ताज,धरा लाए हरियाली।
नव पत्तों के साथ,सजे वृक्षों की डाली।
महक आम की बौर,लगे सबको सुखदायी।
हर्षित कविवर ओम,देख बसंत है आयी।।

लखकर ऋतु बसंत की, हर्षित सृष्टि अपार।
पुष्प महकते अति मधुर,दिखे सृष्टि में प्यार।।
दिखे सृष्टि में प्यार,बढ़े भू में हरियाली।
नव पत्तों के साथ, चमकती है हर डाली।
मधुर आम की गंध, उड़ाते भौरें चखकर।
हर्षित होता ओम,सृष्टि सुंदरता लखकर।।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कानपुर नगर

1 Like · 148 Views

You may also like these posts

विरह गान
विरह गान
पूर्वार्थ
क़ानून
क़ानून
Shashi Mahajan
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
तेरी यादों के किस्से
तेरी यादों के किस्से
विशाल शुक्ल
#हँसती है ज़िंदगी तो ज़िन्दा हैं
#हँसती है ज़िंदगी तो ज़िन्दा हैं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
“समझा करो”
“समझा करो”
ओसमणी साहू 'ओश'
रोला छंद -
रोला छंद -
sushil sarna
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
डॉ. दीपक बवेजा
*आओ बच्चों सीख सिखाऊँ*
*आओ बच्चों सीख सिखाऊँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लिखते हैं कई बार
लिखते हैं कई बार
Shweta Soni
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
surenderpal vaidya
*कर्ण*
*कर्ण*
Priyank Upadhyay
'मरहबा ' ghazal
'मरहबा ' ghazal
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"विक्रम" उतरा चाँद पर
Satish Srijan
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
Madhuyanka Raj
"मुझे देखकर फूलों ने"
Dr. Kishan tandon kranti
..
..
*प्रणय*
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
Dr Archana Gupta
अपने वतन पर सरफ़रोश
अपने वतन पर सरफ़रोश
gurudeenverma198
4783.*पूर्णिका*
4783.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कामिल नहीं होता
कामिल नहीं होता
Kunal Kanth
सपना
सपना
Chaahat
जहन का हिस्सा..
जहन का हिस्सा..
शिवम "सहज"
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
Lokesh Sharma
अहंकार
अहंकार
ललकार भारद्वाज
मां
मां
Lovi Mishra
कुंडलिनी
कुंडलिनी
Rambali Mishra
*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
*पाओ दुर्लभ ब्रह्म को, बंधु लगाकर ध्यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...