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13 Jan 2024 · 1 min read

ऐसे भयावह दौर में

बगल में खंजर दबाए
फूलों का गीत गुनगुनाते
खींसे निपोरकर
जोर की तालियाँ बजाते
भलमनसाहत के जाल में
जमाने को उलझाते।

बताओ ऐसे भयावह दौर में
कहाँ पर है
अमन-चैन और सुकून,
जब हृदय में ही नहीं कहीं पर
क्या पाप, क्या पुन।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 255 Views
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