Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2024 · 2 min read

बॉटल

बचपन में पापा जब पाइप के द्वारा कुएं से पानी बहुत दूर ले जाकर सिंचाई करते हुएं देखता तो मुझे पाइप में से पानी की धार को आते देख बहुत ही अच्छा और सुखद अनुभूति होती थी ।

घर के पीछे मम्मी ने कुछ सब्जियां उगाई थी तो मुझे एक तरकीब सूझी की जो बीमारी में डॉक्टर साहब मरीजों को बोटल चढ़ाते है ना और चडाके उसे बाहर फेंक देते है । तो मैं उसकी नली को इकट्ठा करके घर की सब्जियों को पानी सप्लाई करूंगा खेल का खेल भी हो जायेगा और सब्जियों के पौधों को पानी भी मिल जायेगा ।

घर के पड़ोस में मंशाराम काका को पास ही के बंगाली डॉक्टर साहब जब एन एस और ग्लूकोज की बॉटल चढ़ा रहे थे तो मैं बस उसके खाली होने का बेसब्री से इंतजार करने लगा । क्योंकि वो बॉटल जब खाली हो जायेगा और डॉक्टर साहब उसे या तो कही घर की मंगरी या ढालया में खोंस देंगे या अपने साथ ले जाकर गांव के बाहर किसी जगह फेंक देंगे । इसी ख्याल में डूबा मैं बस बॉटल के खाली होने का इंतजार ही करता रहा । तब जाके बॉटल खतम हुई और डॉक्टर साहब ने उस खाली बॉटल और नली को काका के घर के आगे के ढालये में खोंस दिया और उनसे कहा की याद से इसे कही फेंक देना ।

मैने धीरे से उस बॉटल में से नली निकाली और बड़े से पानी के कुंडे में नली के एक छोर को डुबाकर और एक छोर को मुंह से पानी खींचकर पौधों को पानी देने लगा तो इसमें मुझे और आनंद आने लगा । तभी कुछ समय बाद मम्मी ने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा की अभी के अभी ये नली फेंको पता नही किसे डॉक्टर साहब ने बॉटल चढ़ाया और तू इससे मुंह से पानी खींच रहा है ।

मैने नादानी में कह दिया कि मम्मी मुझे कुछ नहीं। पता मुझे बॉटल की नली ही खेत खेत खेलने के लिए चाहिए । मुझे अपनी सब्जी की बाड़ी को इससे ही सिंचाई करना है । उस समय मामी मम्मी ने तो कह दिया की बेटा इससे मत खेल मैं तुम्हारे लिए कुछ और ला दूंगी । ये कहके चली गई । मैने सोचा कि इस नली से दूसरो को बॉटल लगाई गई है इसलिए मम्मी मना कर रही होगी । मन ही मन सोचने लगा कि काश मेरे घर में भी किसी को ऐसे ही दवाई वाली बॉटल लगती तो खतम होने के बाद मैं उससे खेलता फिर मम्मी कुछ नही बोलती ।

आज पत्नी को बॉटल लगते हुए देखा तो ये वाकया मुझे एकाएक याद आ गया । की वो बचपन भी कितना अबूझ, मासूम, निर्दोष था । की बॉटल क्यों लगाया जाता है ये भी नहीं पता था ।

Language: Hindi
1 Like · 83 Views

You may also like these posts

बूंद और समुंद
बूंद और समुंद
Dr MusafiR BaithA
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रक्षाबंधन के शुभअवसर में
रक्षाबंधन के शुभअवसर में "सोज" के दोहे
Priyank Khare
ईष्र्या
ईष्र्या
Sûrëkhâ
कनक थाल बैठे दो दीपक
कनक थाल बैठे दो दीपक
Madhuri mahakash
* सड़ जी नेता हुए *
* सड़ जी नेता हुए *
Mukta Rashmi
जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
लक्ष्मी सिंह
3184.*पूर्णिका*
3184.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राम का न्याय
राम का न्याय
Shashi Mahajan
बचपन के वो दिन
बचपन के वो दिन
प्रदीप कुमार गुप्ता
ग़ज़ल _ वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी ।
ग़ज़ल _ वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी ।
Neelofar Khan
"दुधावा डैम"
Dr. Kishan tandon kranti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
पूर्वार्थ
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
खूबसूरत धरा बना देंगे
खूबसूरत धरा बना देंगे
Dr Archana Gupta
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
Indu Singh
पति पत्नी और मोबाइल
पति पत्नी और मोबाइल
Rekha khichi
उपवास
उपवास
Kanchan verma
वगिया है पुरखों की याद🙏
वगिया है पुरखों की याद🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मोहब्बत जो हमसे करेगा
मोहब्बत जो हमसे करेगा
gurudeenverma198
आजकल का प्यार
आजकल का प्यार
Dr.sima
।।
।।
*प्रणय*
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
Sarfaraz Ahmed Aasee
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
Anil chobisa
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
Rj Anand Prajapati
Dadi dada
Dadi dada
Utkarsh Dubey “Kokil”
Loading...