Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2024 · 1 min read

*अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गज

अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गजल)
________________________
1)
अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है
यहॉं है जन्म-भू प्रभु राम, इस कारण से प्यारा है
2)
लगी सदियॉं बनाने में, हमें नव भव्य मंदिर को
भॅंवर-मॅंझधार को कर पार, पाया अब किनारा है
3)
मिली मंजिल उन्हें हनुमान, बन जो ठान दृढ़ लेते
लिया जो राम का शुभ नाम, सागर उनसे हारा है
4)
विचरते राम बालक-रूप, दशरथ के महल-ऑंगन
किए दर्शन जिन्होंने भी, उन्हें प्रभु जी ने तारा है
5)
भले बैकुंठ कितना भी, बड़ा हो पर हमें क्या है
बड़ी सबसे अयोध्या जी, बड़ी सरयू की धारा है
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

359 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

शुरूआत
शुरूआत
NAVNEET SINGH
वंदे मातरम
वंदे मातरम
Deepesh Dwivedi
"डर का माहौल नहीं, घर का माहौल दीजिए ll
पूर्वार्थ
राम को कैसे जाना जा सकता है।
राम को कैसे जाना जा सकता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
आजकल जिंदगी भी,
आजकल जिंदगी भी,
Umender kumar
जनता हमको दीजिए,अपना हर इक वोट
जनता हमको दीजिए,अपना हर इक वोट
Dr Archana Gupta
मेरे चेहरे से मेरे किरदार का पता नहीं चलता और मेरी बातों से
मेरे चेहरे से मेरे किरदार का पता नहीं चलता और मेरी बातों से
Ravi Betulwala
रावण जल जाता
रावण जल जाता
surenderpal vaidya
जिंदा रहने के लिए
जिंदा रहने के लिए
Sudhir srivastava
माया
माया
pradeep nagarwal24
मर्यादा, संघर्ष और ईमानदारी,
मर्यादा, संघर्ष और ईमानदारी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
■ एक शेर में जीवन दर्शन।
■ एक शेर में जीवन दर्शन।
*प्रणय प्रभात*
हकीकत
हकीकत
P S Dhami
अपने 'रब' को भी खुद में पा लेते
अपने 'रब' को भी खुद में पा लेते
Dr fauzia Naseem shad
जो अंदर से घबराएं हुए हो वो बाहर से शारीरिक रूप से संकेत दे
जो अंदर से घबराएं हुए हो वो बाहर से शारीरिक रूप से संकेत दे
Rj Anand Prajapati
"" *आओ गीता पढ़ें* ""
सुनीलानंद महंत
बोले सब सर्दी पड़ी (हास्य कुंडलिया)
बोले सब सर्दी पड़ी (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
आधा ही सही, कुछ वक्त तो हमनें भी गुजारा है,
आधा ही सही, कुछ वक्त तो हमनें भी गुजारा है,
Niharika Verma
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
Neelofar Khan
चौपाई छंद
चौपाई छंद
Subhash Singhai
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस
Bodhisatva kastooriya
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मैंने देखा है बदलते हुये इंसानो को
मैंने देखा है बदलते हुये इंसानो को
shabina. Naaz
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
मैं बनती अभिमान
मैं बनती अभिमान
indu parashar
A pandemic 'Corona'
A pandemic 'Corona'
Buddha Prakash
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
अश्विनी (विप्र)
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
सुना था कि मर जाती दुनिया महोबत मे पर मैं तो जिंदा था।
Nitesh Chauhan
मन की इच्छाओं और वासनाओं को नियंत्रित करना उतना ही दुर्लभ है
मन की इच्छाओं और वासनाओं को नियंत्रित करना उतना ही दुर्लभ है
Rj Anand Prajapati
Loading...