Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jan 2024 · 1 min read

कौशल पढ़ते लिखते रहते

जलने वाले जलते रहते।
बढ़ने वाले बढ़ते रहते।।

कुत्ते भौक रहे हो पग-पग।
हाथी आगे चलते रहते।।

बाधाएं हैं आती-जाती।
उठने वाले उठते रहते।।

समझदार लोगों के चिंतन।
कार्य रूप में सजते रहते।।

मेहनत कश चुप नहीं बैठते।
कर्म हमेशा करते रहते।।

करने वाले कर लेते हैं।
हाथ आलसी मलते रहते।।

नकारात्मक रो-रोकर के।
खुद को कैसे छलते रहते।।

समझदार सब तर्क समझते।
रट्टू तोता रटते रहते।।

बिना वजन के लोग निठल्ले।
यूँ ही खूब उछलते रहते।

कामचोर बस बना बहाने।
काम न करने बचते रहते।।

भरी गगरिया चुपके चलती।
अधजल अधिक छलकते रहते।।

हिम्मत वाले हार न माने।।
खुश दिल हरदम हँसते रहते।।

बादल जो बिन वर्षा वाले
गरजें खूब घुमड़ते रहते।।

शेख चिल्लियों के सब सपने।
बिना लक्ष्य के ढहते रहते।।

साधक जैसी कोशिश करते।
मंजिल लक्ष्य पहुँचते रहते।।

डर-डर के जीना भी कैसा ?
सदा साहसी कहते रहते।।

शिक्षा में सब शक्ति समाहित।
‘कौशल’ पढ़ते लिखते रहते।।
@कौशलेन्द्र सिंह लोधी ‘कौशल’

Language: Hindi
137 Views
Books from Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
View all

You may also like these posts

ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
Rj Anand Prajapati
चलो
चलो
हिमांशु Kulshrestha
..
..
*प्रणय*
मायके से दुआ लीजिए
मायके से दुआ लीजिए
Harminder Kaur
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
Paras Nath Jha
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मां की अभिलाषा
मां की अभिलाषा
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
निर्मम बारिश ने किया,
निर्मम बारिश ने किया,
sushil sarna
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
राज छोड़ बनवास में आया था मेरे साथ में
Baldev Chauhan
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
बचपन
बचपन
PRATIK JANGID
गामक
गामक
श्रीहर्ष आचार्य
3270.*पूर्णिका*
3270.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज इस देश का मंजर बदल गया यारों ।
आज इस देश का मंजर बदल गया यारों ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
किसी का खौफ नहीं, मन में..
किसी का खौफ नहीं, मन में..
अरशद रसूल बदायूंनी
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
पर्वत दे जाते हैं
पर्वत दे जाते हैं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
नया मोड़
नया मोड़
Shashi Mahajan
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का दूसरा वर्ष (1960 - 61)*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का दूसरा वर्ष (1960 - 61)*
Ravi Prakash
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
Ajit Kumar "Karn"
दोस्त जितने भी मिले,वफादार मिले
दोस्त जितने भी मिले,वफादार मिले
करन ''केसरा''
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
कवि रमेशराज
हमारे सोचने से
हमारे सोचने से
Dr fauzia Naseem shad
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
ओसमणी साहू 'ओश'
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
Loading...