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27 Dec 2023 · 1 min read

*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*

पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)
_________________________
1)
पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है
बलशाली हर एक देह को, महाकाल यों खाता है
2)
जीवन सीमित मिलता सबको, मरण सुनिश्चित एक दिवस
इसी मध्य में सक्रिय मानव, कौशल निज दिखलाता है
3)
जो भी करना है अभी करो, करने का यही समय बस
जिसने किया जरा-सा आलस, वह मानव पछताता है
4)
कोई भी हो रंग-रूप या, भाषा बोली मजहब हो
मानव-मानव का आपस में, मानवता का नाता है
5)
दो दिन में ढल जाता यौवन, धन चंचल है जादू-सा
जग की चमक-दमक क्षणभंगुर, मृत्युलोक कहलाता है
6)
सुंदर देह कुरूप हो गई, ताकत सारी क्षीण हुई
मरने से पहले मरने की, घंटी काल बजाता है
7)
जिसको चाहे उसे बचा ले, जिसको वह चाहे डॅंस ले
यश-अपयश नुकसान-नफा सब, देता सिर्फ विधाता है
8)
तन के भीतर छिपा हुआ है, वह अनजाना-सा कोई
खोज रहा हूॅं देखो कब तक, पता ठीक लग पाता है
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
288 Views
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