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9 Dec 2023 · 1 min read

– में बचपन से कवि था मरणासन्न तक कवि रहूंगा –

– में बचपन से कवि था मरणासन्न तक कवि रहूंगा –
मिला है मुझे मां शारदे से यह वरदान,
कलम और शब्दो का मिला है मुझे ज्ञान,
हर किसी को यह शोहरत हासिल नही होती,
जिसके भाग्य में लिखी होती है दौलत उसी की होती,
अगर होता तो इस दुनिया में हर गली हर मोहल्ले में एक कवि होता,
कवि होना आसान नही होता,
उसके लिए चाहिए सादगी, शालीनता, सद्भाव का ज्ञान,
जिसकी नही होता किसी बात का अभिमान,
अहंकार जिसको छूकर भी ना गुजरे,
यही होते है कवि होने के निशान,
खुश किस्मती मेरी की में बचपन से इन्ही निशानों के साथ जीता रहा,
आज मुझेअहसास हुआ में बचपन से कवि था,
और अब विश्वास के साथ कहता हु मरणासन्न तक कवि ही रहूंगा,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184

Language: Hindi
122 Views

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