हिंदी दिवस पर ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बाल कविता: मेलों का मौसम है आया
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
दिल मेरा तोड़कर रुलाते हो ।
सूर्य देव के दर्शन हेतु भगवान को प्रार्थना पत्र ...
मेरे गीतों के तुम्हीं अल्फाज़ हो
हर किसी से प्यार नहीं होता
सजग निगाहें रखा करो तुम बवाल होंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ज़िंदगी के रंग थे हम, हँसते खेलते थे हम
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
जिंदगी और जीवन में अपना बनाएं.....
जूनी बातां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
*निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा*-लोरी
मेरा समय
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)