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17 Feb 2024 · 1 min read

मेरा समय

पृथ्वी की धुरी के इशारों पर
यूं तो नाचता है समय.
विस्मृत क्षण हो गए धूमिल
कई दिनों से गुम था समय…
कितने ही वर्षों से ढूंढता
पूछता था जिससे वो कहता
“मेरे पास तो नहीं है समय…”
समय को खोजते खोजते
अपने प्रियजनों के हृदय की
सीमा को भी लांघ गया…
कहीं भी ना मिला समय….
हार के लौटा घर में,
आश्चर्यचकित फिर हुआ मैं!
समय तो मेरी मुट्ठी में सिकुड़ा था
मेरे परिवार के हर सदस्य से
मिलने को आतुर था – मेरा समय।

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