Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Sep 2017 · 1 min read

कविता... राजभाषा हिंदी

अपनी हिन्दी
*********
फूलों से महकता चमन है हिन्दी।
हर शब्द है फूल इसका,भरलो हृदय गागरी।
मिलजुल बोलो तुम,जय हिन्दी,जय देवनागरी।

आन-बान-शान है भारत की पहचान है।
है वैज्ञानिक तभी तो जग में,गाया जाए रागरी।
मिलजुल बोलो तुम,जय हिन्दी,जय देवनागरी।

चौदह सितम्बर उन्नीस सौ उनचास का जन्म।
संविधान की धारा ३४३ में,संज्ञा राजभाषा की जरी।
मिलजुल बोलो तुम,जय हिन्दी,जय देवनागरी।

तृतीय से प्रथम स्थान पर जग में छाने को हिन्दी।
चमक रही बन माथे की बिन्दी,उज्ज्वल हैं भागरी।
मिलजुल बोलो तुम,जय हिन्दी,जय देवनागरी।।

उच्चारण और लेखन में एकमत है हिन्दी का।
जिससे सिर उन्नत है हिन्दी का,नहीं है कोई दागरी।
मिलजुल बोलो तुम,जय हिन्दी,जय देवनागरी।

*******************************
राधेश्याम बंगालिया “प्रीतम” कृत
सर्वाधिकार सुरक्षित कविता
************************************

Loading...