Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2023 · 1 min read

भ्रम जाल

वो जाल ओढ़े बैठा है चमन में
तुम भी न आ जाना कहीं भ्रम में
वो समझता है तुम हो तितली
तभी ये जाल बिछाया है चमन में

बात करता है जो मीठी तुमसे
कोई तो वजह होगी उसकी
कोई स्वार्थ भी हो सकता है उसका
जरूरी नहीं तू चाहत होगी उसकी

कौन जाने क्या आस लगाकर बैठा है
जो इन फूलों को यूं सजाकर बैठा है
जानता नहीं है तू क्या हश्र हुआ है उनका
जो भी जाकर इन फूलों पर बैठा है

तुझे लगता है वो कुछ नहीं जानता
है पहुंचा हुआ, वो सबकुछ है जानता
समझता है हर कमज़ोरी वो तेरी
है क्या हालत तेरी वो ये भी है जानता

है नहीं नया ये सब उसके लिए
बस तेरा किरदार नया हो गया है
जो फस गया जाल में उसके
वो फिर उसकी मर्ज़ी से ही गया है

है अभी भी वक्त, पहचान ले असलियत
अच्छी तरह परख ले बनने से पहले हम कदम
मैं ये नहीं कहता छोड़ दे तू उसे
लेकिन संभाल कर रखना इस चमन में कदम

चाहता है फिर भी जाना अगर
उसके भ्रम जाल में, वो तेरी रज़ा है
लेकिन कह रहा हूं तुमसे अभी भी
ये जाल जीवनभर की सज़ा है।

Language: Hindi
6 Likes · 3109 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all

You may also like these posts

*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
देव उठनी
देव उठनी
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
Rj Anand Prajapati
अगर हो तुम सजग
अगर हो तुम सजग
Bimal Rajak
क्या कहें,देश को क्या हो गया है
क्या कहें,देश को क्या हो गया है
Keshav kishor Kumar
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
इंसान
इंसान
Sanjay ' शून्य'
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
मायड़ भासा मोवणी, काळजियै री कोर।
मायड़ भासा मोवणी, काळजियै री कोर।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
पंकज परिंदा
23/178.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/178.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रभा प्रभु की
प्रभा प्रभु की
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बिखर रही है चांदनी
बिखर रही है चांदनी
surenderpal vaidya
देश का भविष्य
देश का भविष्य
Shweta Soni
अक्सर....
अक्सर....
हिमांशु Kulshrestha
*आत्म-मंथन*
*आत्म-मंथन*
Dr. Priya Gupta
आकाश
आकाश
Dr. Kishan tandon kranti
एक दीया जलाया मैंने
एक दीया जलाया मैंने
Dheerja Sharma
भोलेनाथ
भोलेनाथ
Adha Deshwal
--> पुण्य भूमि भारत <--
--> पुण्य भूमि भारत <--
Ankit Halke jha
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुन्दरता की कमी को अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है,
सुन्दरता की कमी को अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है,
शेखर सिंह
"मानुष असुर बन आ गया"
Saransh Singh 'Priyam'
व्यथा
व्यथा
विजय कुमार नामदेव
कलयुग और महाभारत
कलयुग और महाभारत
Atul "Krishn"
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
Yogendra Chaturwedi
चढ़ते सूरज को सदा,
चढ़ते सूरज को सदा,
sushil sarna
और फिर इक रोज,आप अपनी हकीकत
और फिर इक रोज,आप अपनी हकीकत
Ritesh Deo
खुद ये महदूद दायरा रक्खा,
खुद ये महदूद दायरा रक्खा,
Dr fauzia Naseem shad
#मौसमी_मुक्तक-
#मौसमी_मुक्तक-
*प्रणय*
Loading...