Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2025 · 1 min read

आनंद वर्धक / पीयूष वर्ष छंद विधान सउदाहरण

आनंद वर्धक छंद /पीयूष वर्ष छंद विधान:-
मापनी – 2122 2122. 212
यह 19 मात्रा का सम पद मात्रिक छंद है। चार पद, दो दो सम तुकांत।

हार मेरे पास होगी जानिए |
जीत देंगे आपको ही मानिए |
काम पूरा ही बनेगा ठानिए |
दूध जैसा सत्य को पैचानिए ||
~~~~~~~~~~
आनंद वर्धन छंद
मापनी – 2122 2122. 212 मुक्तक

लोग बोलेंगे यहाँ क्या शोर है |
बोल देना भाव से ये भोर है |
है उजाला आपको देते यहाँ –
भावना के वेग का ही जोर है |
~~~~~~
आनंद वर्धन छंद
मापनी – 2122 2122. 212
गीतिका
समांत – आना ,पदांत – था वहाँ

आपका जब पास आना था वहां |
दौर तक पूरा पुराना था वहाँ |

थे नहीं कुछ दूर तक कोई गिले ,
नेह का गुजरा जमाना था वहाँ |

आप मानो यह तुम्हारी शान थी ,
जो हमें आकर खजाना था वहाँ |

जानते हम आपका वह नूर था,
जो लगा सबको सुहाना था वहाँ |

बात पूछें आप आकर ही सदा,
सिलसिला आगे बढ़ाना था वहाँ |

आज भी संसार में बातें वहीं ,
सोचता कोई फसाना था वहाँ |

आज भी जलते सुभाषा लोग हैं,
बोलते कोई लुभाना था वहाँ |

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~

Language: Hindi
130 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
*नल से जल की योजना, फैले इतनी दूर (कुंडलिया)*
*नल से जल की योजना, फैले इतनी दूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रतन चले गये टाटा कहकर
रतन चले गये टाटा कहकर
Dhirendra Singh
पकड़ लो भैया कुश घोड़ा
पकड़ लो भैया कुश घोड़ा
Baldev Chauhan
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
ज़िंदगानी सजाते चलो
ज़िंदगानी सजाते चलो
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
फिर एक कविता बनती है
फिर एक कविता बनती है
Vivek Pandey
मोहब्बत से नहीं इनकार लेकिन
मोहब्बत से नहीं इनकार लेकिन
Neeraj Naveed
श
Vipin Jain
तेरी याद
तेरी याद
Shyam Sundar Subramanian
अपमान का बदला
अपमान का बदला
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"राहे-मुहब्बत" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
हर बला से दूर रखता,
हर बला से दूर रखता,
Satish Srijan
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पूर्वार्थ
2
2
*प्रणय प्रभात*
कड़वाहट का आ गया,
कड़वाहट का आ गया,
sushil sarna
इंतहा
इंतहा
dr rajmati Surana
समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास
समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास
कुमार अविनाश 'केसर'
4435.*पूर्णिका*
4435.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बी एफ
बी एफ
Ashwani Kumar Jaiswal
ख़्वाहिशें अपनी-अपनी, मंज़िलें अपनी-अपनी--
ख़्वाहिशें अपनी-अपनी, मंज़िलें अपनी-अपनी--
Shreedhar
जब तक हम जिंदा यहाँ पर रहेंगे
जब तक हम जिंदा यहाँ पर रहेंगे
gurudeenverma198
मासी की बेटियां
मासी की बेटियां
Adha Deshwal
शायद तेरे मेरे प्यार को
शायद तेरे मेरे प्यार को
अश्विनी (विप्र)
"लट्टू"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने ख्वाबों से जो जंग हुई
अपने ख्वाबों से जो जंग हुई
VINOD CHAUHAN
कुछ पाने की कोशिश में
कुछ पाने की कोशिश में
Surinder blackpen
बाण मां सूं अरदास
बाण मां सूं अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कोई हमें छोड़ कर चला गया, आज भी हमें उन पर बेइंतेहा भरोसा है
कोई हमें छोड़ कर चला गया, आज भी हमें उन पर बेइंतेहा भरोसा है
Iamalpu9492
Loading...