Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2023 · 1 min read

आज फिर।

आज फिर तुम्हारा ख्याल गया रुलाकर हमको।
खुदा जानें तुम कैसे जी रहे हो भुलाकर हमको।।

✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 2 Comments · 287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all

You may also like these posts

आपन गांव
आपन गांव
अनिल "आदर्श"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
3750.💐 *पूर्णिका* 💐
3750.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सच बोलूंगा तो रिश्ते बिखर जाएंगे
सच बोलूंगा तो रिश्ते बिखर जाएंगे
Vindhya Prakash Mishra
दोहा एकादश. . . . . सावन
दोहा एकादश. . . . . सावन
sushil sarna
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
निगाहों में छुपा लेंगे तू चेहरा तो दिखा जाना ।
निगाहों में छुपा लेंगे तू चेहरा तो दिखा जाना ।
Phool gufran
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
ललकार भारद्वाज
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
" कमाई की परिभाषा "
Dr. Kishan tandon kranti
एकांत मन
एकांत मन
TARAN VERMA
तितलियों को बिठा लिया मैंने
तितलियों को बिठा लिया मैंने
अरशद रसूल बदायूंनी
अब तो जागो तुम बहुजनों
अब तो जागो तुम बहुजनों
gurudeenverma198
तनहा विचार
तनहा विचार
Yash Tanha Shayar Hu
..
..
*प्रणय प्रभात*
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
नींद का कुछ, कुसूर थोड़ी था
नींद का कुछ, कुसूर थोड़ी था
Dr fauzia Naseem shad
"किस बात का गुमान"
Ekta chitrangini
मैं मजदूर हूँ
मैं मजदूर हूँ
Arun Prasad
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
Keshav kishor Kumar
बचपन
बचपन
Kanchan Advaita
- ईद का चांद -
- ईद का चांद -
bharat gehlot
उन नशीली आँखों में डूब जाने का मन होता है...
उन नशीली आँखों में डूब जाने का मन होता है..."
Ami
मदिरालय
मदिरालय
Kaviraag
दर्पण
दर्पण
Sanjay Narayan
तन अर्पण मन अर्पण
तन अर्पण मन अर्पण
विकास शुक्ल
भारत हमारा
भारत हमारा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दुश्मन जितना भी चालाक हो
दुश्मन जितना भी चालाक हो
Vishal Prajapati
हमें अपने जीवन को विशिष्ट रूप से देखना होगा तभी हम स्वयं के
हमें अपने जीवन को विशिष्ट रूप से देखना होगा तभी हम स्वयं के
Ravikesh Jha
बारम्बार प्रणाम
बारम्बार प्रणाम
Pratibha Pandey
Loading...