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22 Dec 2022 · 1 min read

दिल का पैगाम

दिल का पैगाम

भेज रहा हूँ पैगाम तुझको
आँखें मिलाकर आँखों से
चेहरा पढ़कर महसूस कर ले
जो समझा न सके अपनी बातों से

ना समझना इसे कोरा कागज
ना तौलना इसे लहू के नातों से
है पैगाम हमारा वफा-ए-इश्क
जो लिखा है दिल के जज्बातों से

इसमें लगी है प्यार की स्याही
पैगाम भरा है चाहतों से
समझी अगर यह प्रेम की भाषा
पढ़ लूँगा तेरी खिलखिलाहटों से

पसंद आए अगर पैगाम हमारा
भेजना जवाब अपनी आँखों से
मिलने आ जाऊँगा सपने में तेरे
मैं सोया नहीं हूँ कई रातों से

दिल का पैगाम दिल ही समझे
समझेगी तू भी दिल के हालातों से
कर दे तू भी हाल-ए-दिल बयां
भरता नहीं दिल जरा सी मुलाकातों से

– आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार

1 Like · 221 Views
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