Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2022 · 8 min read

*सादा जीवन उच्च विचार के धनी : लक्ष्मी नारायण अग्रवाल बाबा*

सादा जीवन उच्च विचार के धनी : लक्ष्मी नारायण अग्रवाल बाबा
—————————————-
संभवतः अगस्त 1989 में पुराना गंज, रामपुर, उत्तर प्रदेश निवासी लक्ष्मीनारायण अग्रवाल बाबा ने मुझे कुछ पुस्तकें भेंट की थीं। उन पुस्तकों में आपके द्वारा संपादित विचारों का भंडार भरा पड़ा था। जीवन को सफल और संस्कारवान बनाने की दृष्टि से आपने इन पुस्तकों को प्रकाशित कराया था और निशुल्क इन्हें लोगों को वितरित किया । इसी कड़ी में मेरे पास भी यह पुस्तकें आपके कर-कमलों से प्राप्त हुई थीं।
लक्ष्मी नारायण बाबा की आयु अगस्त 1989 में 76 वें वर्ष में चल रही थी । अगस्त 1914 का आप का जन्म हुआ था। जब मैं आपका स्मरण करता हूॅं तो एक दुबले-पतले और युवकों के समान फुर्तीली गति से उत्साह से भरे सक्रिय व्यक्ति का चेहरा सामने आ जाता है । देखने में गंभीर, लगभग क्लीन शेव किंतु थोड़ी बहुत दाढ़ी-मूछें शायद बढ़ी रहती थीं। आवाज में संयम था। धीरे और हल्के स्वर में बोलते थे।
आप अपने जीवन में प्रगति का सारा श्रेय जनता पुस्तकालय, पुराना गंज को देते हैं । एक पत्रक में जो अगस्त 1989 में प्रकाशित हुआ, आपने लिखा है कि पुराना गंज क्षेत्र में यह पुस्तकालय सन 1931 से बराबर सेवा कर रहा है। इस पुस्तकालय का अपना अनोखा इतिहास है। आपका कथन है :-“मैंने स्वयं इसी पुस्तकालय से प्रेरणा प्राप्त कर अपने जीवन के 76 बसंत बिताए हैं और आज इस आयु में भी लगभग पूरी तरह स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन के साथ उत्साह भरा क्रियाशील जीवन जी रहा हूॅं। पुस्तकालय के माध्यम से ही मैंने थियोसॉफिकल सोसायटी और योगाभ्यास आदि में रुचि लेकर बहुत कुछ प्राप्त किया है।” अगस्त 1989 के इस पत्रक में लक्ष्मीनारायण अग्रवाल जी सफल जीवन जीने की सीख लोगों को इन शब्दों में देते हैं :-“मेरा अपना अनुभव है कि नियमित एक घंटा-आधे घंटे का योगाभ्यास, ध्यान, व्यायाम करके आप युवक, प्रौढ़ तथा वृद्ध जीवन जीने की कला द्वारा बहुत लाभ उठा सकते हैं । वह लोग जो व्यापार, नौकरी, कारखानों में जो भी काम कर रहे हैं -स्वस्थ शरीर उत्साही मन से जीवन में दुगुना काम कर सकेंगे । अपने दैनिक जीवन को कहीं अधिक व्यवस्थित बनाकर योजनाबद्ध काम करते हुए अधिक सफल जीवन जी सकेंगे । अपने परिवार तथा भावी पीढ़ी का भला करते हुए वृद्धावस्था अधिक सुखद बिता सकेंगे । युवक वृद्ध रोगी-निरोगी नर-नारी प्रातः सायं योग स्वास्थ्य शिक्षा केंद्र में नियमित आकर सत् परामर्श लेकर अपनी समर्थ अनुसार योगाभ्यास करें। मेरा जीवन इसके लिए समर्पित है। धन्यवाद अगस्त 1989 । आपका शुभ आकांक्षी लक्ष्मीनारायण अग्रवाल पुराना गंज रामपुर”
इसमें संदेह नहीं कि लक्ष्मीनारायण अग्रवाल जी जिन्हें रामपुर में लक्ष्मी नारायण बाबा के नाम से ही ख्याति प्राप्त हुई, अपने आप में थियोसॉफिकल सोसायटी के विचारों से ओतप्रोत उसका प्रचार और प्रसार करने में संलग्न तथा योगाभ्यास ध्यान और प्राणायाम को जीवन में आत्मसात करते हुए प्रकृति के निकट रहने का सौभाग्य प्राप्त करने वाले तथा औरों को कराने वाले एक विलक्षण महापुरुष थे।
आपने मुख्यतः संपादक के रूप में अच्छे विचारों को लोगों तक पहुंचाने का काम किया। आपने थियोसॉफिकल सोसायटी के माध्यम से विचार-शक्ति नाम की एक पुस्तक प्रकाशित करवाई । आकार मात्र 16 पृष्ठ का है, लेकिन विचारों में कितनी शक्ति होती है और थिओसोफी के अनुसार विचार किस प्रकार हमारे भीतर तथा बाहर अपना प्रभाव डालते हैं, इस छोटी सी पुस्तक में उस पर प्रकाश डाला गया है । सद् विचारों की आवश्यकता पर पुस्तक में बल देते हुए कहा गया है कि श्री गुरु चरणेषु जैसी पुस्तक में से समय-समय पर आत्मविश्वास पूर्ण वाक्य लेते रहें और उसे दोहराते रहें तो आप कालांतर में अनुभव करेंगे कि उपर्युक्त मानसिक साधना से आपकी विचार-शक्ति अधिक शुद्ध तथा सामर्थ्यशाली बनी है। यह पवित्र एवं सामर्थ्यपूर्ण विचार शक्ति ही हमें आध्यात्मिक पथ पर सहायता करती है। लेखक एवं संपादक लक्ष्मीनारायण अग्रवाल जी का मानना था कि व्यक्ति स्वयं अपनी विचार-चिकित्सा कर सकता है अर्थात अच्छे विचार रखना तथा उनको फैलाना स्वयं में एक चिकित्सा है । उन्होंने लिखा है -“हम विचारों से नए कर्म बंधनों को बनाते हैं और उन्हीं से उन्हें समाप्त भी कर सकते हैं।”
आपकी एक अन्य पुस्तक “रिटायरमेंट के बाद का जीवन सरल संक्षिप्त गाइड” भी प्रकाशित हुई है ।इसकी भूमिका में आपने लिखा है कि शुगर फैक्ट्री, काशीपुर (नैनीताल) के वरिष्ठ प्रधान प्रधान प्रबंधक आदरणीय बंधु भगवती नारायण जी के हर प्रकार के प्रोत्साहन से इस गाइड का प्रकाशन संभव हो सका है । पुस्तक में इस प्रश्न पर विचार किया गया है कि “क्या 21वीं सदी बूढ़ों की होगी ?” तथा इस संबंध में लेखक का मत है कि “हमारा देश भारत एक गरीब देश है। संयुक्त परिवार प्रथा टूट रही है। अगर वृद्धजनों को रिटायरमेंट के बाद बुढ़ापे से टक्कर लेते हुए जीना है, तो पहले से ही योजनाबद्ध रूप में तैयारी करनी होगी । स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन बनाए रखने के लिए 40 साल के बाद नियमित व्यायाम योगासन प्राणायाम ध्यान आदि करते हुए अच्छी आदतों-विचारों को अपनाना होगा । ध्यान रखना है कहीं हम नई पीढ़ी के लिए बोझ न बन जाऍं।” कहने की आवश्यकता नहीं कि लेखक के यह विचार बहुत प्रैक्टिकल हैं तथा जीवन में व्यवहार में उतारने के लिए ही उसने इन विचारों को समाज के सामने रखा है।
एक अन्य लेख में लेखक ने धन्यवाद पर बल दिया है । उसका कहना है कि प्रातः उठते ही उन सबको धन्यवाद दो, जो आपको प्यार करते हैं । उन तमाम सुख-सुविधाओं के लिए दिल से कृतज्ञता प्रकट कीजिए, जो आपको प्राप्त हैं। यह देखकर आप हैरान हो जाएंगे कि किस तरह सोचने से आपके जीवन में तब्दीली आ जाएगी । आप सचमुच चुंबक बन जाएंगे, जो स्वास्थ्य और प्रसन्नता को अपनी ओर खींचेगी।”
रिटायरमेंट होने से पहले की तैयारियों का उल्लेख लेखक ने विस्तार से किया है । उसका मत है कि रिटायरमेंट के बाद भी व्यक्ति को किसी न किसी उपयोगी कार्य में लगे रहना आवश्यक है। व्यस्त रहो, मस्त रहो का मंत्र जीवन से जोड़ना जरूरी है ।(पृष्ठ 10)
हमारा भोजन और स्वास्थ्य शीर्षक से इसी पुस्तक के पृष्ठ 21 पर लिखित लेख में लेखक ने अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता पर बल दिया है। उसका कहना है कि स्वाद की दृष्टि से भोजन करने वाले पेटू बनकर स्वास्थ्य और स्वाद दोनों को खो बैठते हैं । प्रकृति का आदेश है कि जिंदा रहने के लिए हमें भोजन करना है ।
विपश्यना ध्यान पद्धति को लेखक ने अत्यंत सराहना के साथ प्रस्तुत किया है । उसके अनुसार विपश्यना ध्यान मानव को वर्तमान में इसी क्षण सजग रहकर जीने की कला बताता है । कोई दुष्कर्म मन में पैदा ही न हो। जो पुराने संस्कार हैं, उनको जड़ से निकाल चित्तशुद्धि का प्रयास ही विपश्यना आत्मदर्शन आत्मनिरीक्षण आत्म परीक्षण है।(पृष्ठ 28)
लक्ष्मीनारायण अग्रवाल जी की एक पुस्तक सरल संक्षिप्त योग पद्धति गाइड है। इस पर भी संकलनकर्ता के रूप में लक्ष्मीनारायण अग्रवाल जी का नाम अंकित है अर्थात लेखक ने बहुत से विचारों को इधर-उधर से एकत्र करके इस पुस्तक में लिपिबद्ध किया है । इसमें योग के बहुत से आसनों के बारे में विस्तार से बताया गया है । संभवतः इनका स्रोत कुछ और है । पुस्तक के मुख्पृष्ठ पर लिखा हुआ है कि योगासन मुद्रा क्रिया नेति धारणा ध्यान द्वारा नियमित एक घंटा अभ्यास से युवावस्था प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था तक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के साथ जीवन जिऍं। योगाभ्यास जीवन जीने की कला है ।
स्वास्थ्य रक्षा के नियम लेखक ने मोटे तौर पर पांच बताए हैं :-दिन में दो बार खाना, दो लीटर पानी पीना , एक दिन उपवास करना, प्रतिदिन ध्यान प्रार्थना और योगाभ्यास करना।
एक बड़ी विचित्र बात यह रही कि लक्ष्मीनारायण अग्रवाल जी ने संपादक के रूप में नवविवाहित वर वधु दंपत्ति मार्गदर्शिका गाइड दो भागों में प्रकाशित की । यह पहला भाग 57 पृष्ठ का तथा दूसरा भाग 19 पृष्ठ का है । इसमें एक प्रकार से काम विज्ञान अर्थात सेक्स शिक्षा का ज्ञान है। बीसवीं शताब्दी के अंतिम समय में इस प्रकार के विषय पर कुछ पुस्तक लिखना अथवा संपादित करना समाज में कितना कठिन और आपत्तिजनक कार्य समझा जाता होगा, हम इसकी सहज कल्पना कर सकते हैं । यह कार्य तो लक्ष्मी नारायण बाबा जैसा कोई योगाभ्यास पूर्वक जीवन जीने वाला व्यक्ति ही कर सकता है ।
पुस्तक में महात्मा गॉंधी द्वारा सेठ जमनालाल बजाज के पुत्र श्री कमलनयन बजाज को विवाह के उपरांत दिए गए उपदेशों का भी संकलन है । इसमें कम बोलना, गरीब के समान रहना, धन का अभिमान न करना, नियमित व्यायाम करना, मन को किसी दूसरी स्त्री की तरफ न जाने देना आदि अच्छी और प्रेरणादायक सीख का वर्णन है। तात्पर्य यह है कि विवाह के समय केवल विलासिता पूर्ण जीवन की ओर व्यक्ति को उन्मुख होने से बचाते हुए उसे जीवन में संयम और सादगी का उपदेश देना परम आवश्यक है ।
पुस्तक में एक अध्याय एड्स से बचाव का भी है। इसका संक्षिप्त सार लेखक ने लिखा है कि एड्स से बचने का सबसे सरल और साधारण रामबाण इलाज यही है कि पति-पत्नी के पवित्र बंधन में बॅंध कर ईमानदारी से प्रेम के साथ एक दूसरे के होकर जीवन बिताएं। इस तरह से भारतीय संस्कृति के अनुसार हमें पहला सुख निरोगी काया मिलेगी, दूसरा सुख घर में माया रहेगी, तीसरा सुख पतिव्रता नर और नारी होंगे, चौथा सुख इनके द्वारा पैदा होने वाली संतान आज्ञाकारी होंगी ।(पृष्ठ 27)
लक्ष्मी नारायण अग्रवाल बाबा का दृष्टिकोण केवल कतिपय विचारों को संपादित करके प्रस्तुत कर देना ही नहीं है। उसके पीछे भी एक सुधारवादी दृष्टिकोण विद्यमान है । जब वह किसी अन्य के विचारों को उद्धृत करते हैं, तब उसके साथ उनका समर्थन जुड़ा रहता है।
जातिवाद समाप्त करने के लिए अंतर्जातीय विवाह का उपयोग करना एक ऐसा ही विचार है। लक्ष्मीनारायण जी इस सुझाव की बात करते हैं कि भारत में व्याप्त जातिवाद कैसे समाप्त हो ? इस दिशा में वह अन्य के विचारों को उद्धृत करते हुए लिखते हैं कि इस विषय में जातिवाद की जड़ों पर कुठाराघात करने का एक आसान तरीका है कि तमाम सरकारी सेवाओं में तब ही नियुक्ति की जाए, जब सेवाओं के इच्छुक व्यक्ति अंतर्जातीय विवाह करने का शपथ पत्र भी आवेदन के साथ दें । उनका स्थायित्व तभी ही हो, जब वह ऐसा विवाह कर लें। अगर वह अपनी ही जाति में विवाह कर लें, तो उनकी सेवाएं समाप्त हो जाएं । ऐसे में आने वाले अगले दस वर्षों में इतने विवाह हो जाएंगे कि जातिवाद रहेगा ही नहीं । यह नवविवाहित वर वधु दंपत्ति मार्गदर्शिका गाइड भाग 2 के अंतिम पृष्ठ के शब्द हैं। इससे पता चलता है कि लक्ष्मी नारायण जी एक साफ-सुथरी तथा सुधारवादी सोच के धनी व्यक्ति थे । वह जहॉं एक ओर परंपरागत रूप से भारत की महान पूंजी योग ध्यान आसन प्राणायाम आदि पर बल देते थे, सादा जीवन और उच्च विचारों को अपनाने की प्रवृत्ति की सीख देते थे, वहीं दूसरी ओर उनका ध्यान उन विकृतियों की ओर भी जाता था जिनके कारण भारतीय समाज में दुख भरी स्थितियॉं पैदा होती जा रही हैं। वह उनका निराकरण करने के लिए अपने ढंग से सक्रिय रहे। कतिपय पुस्तकों को सामर्थ्यवान व्यक्तियों के सहयोग से प्रकाशित करके उनको बांटने तथा थियोसॉफिकल सोसायटी के विश्व बंधुत्व में आस्था रखते हुए जीवन को अंतिम क्षणों तक निरोगी और उत्साह से भरा हुआ बनाने में उनकी रुचि रही। उनकी स्मृति को शत-शत प्रणाम ।
________________________
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

301 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

सोच
सोच
Neeraj Agarwal
If
If
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सांझ
सांझ
Lalni Bhardwaj
आदमी
आदमी
Ruchika Rai
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बोलती आंखें🙏
बोलती आंखें🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
सुंदर पंक्ति
सुंदर पंक्ति
Rahul Singh
DR Arun Kumar shastri
DR Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मीडिया पर व्यंग्य
मीडिया पर व्यंग्य
Mahender Singh
जिसका हम
जिसका हम
Dr fauzia Naseem shad
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
Ravikesh Jha
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
अंसार एटवी
#आज_का_नारा
#आज_का_नारा
*प्रणय*
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया
VINOD CHAUHAN
" बंध खोले जाए मौसम "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
प्रेरणा
प्रेरणा
पूर्वार्थ
"जिसका जैसा नजरिया"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी सिया प्यारी को देखा अगर
मेरी सिया प्यारी को देखा अगर
Baldev Chauhan
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
Ravi Prakash
हृदय का रंग
हृदय का रंग
Rambali Mishra
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
बुन्देली दोहा - बिषय-चपेटा
बुन्देली दोहा - बिषय-चपेटा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जाने दो माँ
जाने दो माँ
Kaviraag
लोग क्या कहेंगे
लोग क्या कहेंगे
Mansi Kadam
We Would Be Connected Actually
We Would Be Connected Actually
Manisha Manjari
क्या आज हो रहा है?
क्या आज हो रहा है?
Jai Prakash Srivastav
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
मेरे दिल ओ जां में समाते जाते
मेरे दिल ओ जां में समाते जाते
Monika Arora
Loading...