मुक्तक
मुक्तक
~~~~
जिन्दगी जब मचलती किसी चाह में।
जा सका कौन इसकी गहन थाह में।
खत्म होती कभी भी नहीं कोशिशें।
व्यक्ति सब कुछ लुटाता है उत्साह में।
~~~~
राह में वो हमें मिल गये प्यार से।
स्वप्न फिर से हुए आज साकार से।
खत्म फिर भी नहीं हो सकी दूरियां।
बस उलझते रहे जीत से हार से।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०४/०१/२०२५