मैं ऐसे जमघट में खो गया हूं, जहां मेरे सिवा कोई नही है..!! ख
मैं ऐसे जमघट में खो गया हूं, जहां मेरे सिवा कोई नही है..!! खुली है खिड़कियां हर घर की, लेकिन गली में झांकता कोई नही है..!! रुकूं तो मंजिलें ही मंजिलें हैं, चलूं तो रास्ता कोई नही है..!!
मैं ऐसे जमघट में खो गया हूं, जहां मेरे सिवा कोई नही है..!! खुली है खिड़कियां हर घर की, लेकिन गली में झांकता कोई नही है..!! रुकूं तो मंजिलें ही मंजिलें हैं, चलूं तो रास्ता कोई नही है..!!