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8 May 2022 · 1 min read

मातृदिवस

जितना माँ पन्नों में पूजी जाती है
घर में उतना मान कहाँ वो पाती है

होता उसका गान बड़ा कविताओं में
शब्दों से व्याख्यान बड़ा कविताओं में
जितनी उसकी महिमा गाई जाती है
घर में उतना मान कहाँ वो पाती है

माँ से महके घर का कोना कोना है
होता उसका प्यार खरा ज्यूँ सोना है
जितनी वो अपनी ममता बरसाती है
घर में उतना मान कहाँ वो पाती है

बचपन में जो माँ से अलग न होते थे
उसके आँचल में ही छुपकर सोते थे
आज उन्हें वो माँ ही नहीं सुहाती है
घर में उतना मान कहाँ वो पाती है

कहने को तो उत्सव खूब मनाते हैं
मातृदिवस पर आसन पर बैठाते हैं
दुनिया इस दिन जितना प्यार लुटाती है
घर में उतना मान कहाँ वो पाती है

08-05-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

6 Likes · 8 Comments · 908 Views
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